शास्त्रों में पीपल के पेड़ को बहुत ही पवित्र माना गया है। पेड़-पौधे हमारे वातावरण में संतुलन रखते हैं और हमें जीवन के लिए सबसे महत्पूर्ण ऑक्सीजन देते हैं। यही वजह है कि शास्त्रों में भी कई पेड़ों को काटने की मनाही है। कहा जाता है कि इन पेड़ों को काटने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा भी शास्त्रों में इनकी पूजा आदि के बारे में भी बताया जाता है। आज हम आपको बता रहे हैं इससे ही जुड़े जानकारी।
धार्मिक ग्रंथों की मानें तो इन पीपल के पेड़ में साक्षात विष्णु विराजते हैं। अगर इस पेड़ की पूजा की जाए तो कहा जाता है कि मां लक्ष्मी की कृपा उस इंसान पर बनी रहती है। अगर इस पेड़ को काट दिया जाए तो उस व्यक्ति के घर से धन-संपत्ति की हानि होती है। इसलिए ज्योतिषी शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा शनिवार को सुबह तांबे के लोटे में विष्णु भगवान का स्मरण करते हुए पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
शास्त्रों की मानें तो पीपल के पेड़ की रविवार को पूजा नहीं करनी चाहिए। इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना धनहानि का सूचक माना जाता है। शास्त्रों की मानें तो पीपल का पेड़ पवित्र वृक्ष है और इसमें देवताओँ और पितृों का वास रहता है। इसके काटना पर पितृों के लिहाज से अच्छा नहीं माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि जो लोग पीपल का पेड़ लगाते हैं उनके पितृ मोक्ष को प्राप्त करते हैं। शास्त्रों की मानें तो शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। इससे शनि के दोष दूर होते हैं और शनि भगवान की कृपा बनी रहती है। जो व्यक्ति शनिवार को पीपल के पेड़ को काटता है उसे शनि की वक्र दृष्टि का सामना करना पड़ता है।यही नहीं शनिवार को अगर पीपले के पेड़ को कोई काटते हुए भी देख लेते हैं तो उसे शनि के कुप्रभावों का सामना करना पड़ता है।

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