देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए सभी सीटों रुझानों में सीधी टक्कर बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. आम आदमी पार्टी दूर-दूर तक कहीं भी उत्तराखंड के सियासी रण में नजर नहीं आ रही है. जिससे साफ लगता है कि आप के लिए उत्तराखंड में फ्री के वादे महंगे साबित हुए हैं. विधानसभा चुनाव में जनता ने फ्री बिजली के वादों से साथ ही आप की गारंटी को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. जिसका नतीजा चुनावी परिणामों के रूप में सामने आ रहे हैं. दरअसल, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में नेता घोषणाओं का लबादा ओढ़े नेता जनता के पास पहुंचे. चुनाव के शुरुआती दौर में बीजेपी हो या कांग्रेस या फिर आम आदमी पार्टी सभी ने एक साथ फ्री बिजली, फ्री रोजगार भत्ते का राग अलावा. इसकी शुरुआत उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी ने की तो उसके बाद बीजेपी और कांग्रेस भी इसमें कूद पड़ी. अब इनका इन दलों को कितना फायदा हुआ इसके रिजल्ट सामने आ रहे हैं. अब तक सामने आये रुझानों में जनता ने आम आदमी पार्टी को सिरे से खारिज कर दिया है. विधानसभा चुनाव के नतीजों की लड़ाई में दूर-दूर कहीं भी आम आदमी पार्टी नहीं दिखाई दी. नतीजों को देखकर कहा जा सकता है कि जनता ने आम आदमी पार्टी के फ्री के वायदों के साथ ही उनके नेतृत्व पर भरोसा नहीं जताया.

साथ ही सत्ता में आने पर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनावने की बात भी आप ने कही थी. छह नए जिलों (काशीपुर, रुड़की, कोटद्वार, डीडीहाट, रानीखेत और यमुनोत्री को जिला बनाने को लेकर भी आम आदमी पार्टी ने जोर शोर से आवाज उठाई थी. आम आदमी पार्टी ने बड़ी ही जोर शोर से इन मुद्दों को उठाया. साथ ही आम आदमी पार्टी ने चुनावों में बड़ा जनाधार जुटाने की बात कही थी, जो अब हवा हवाई होती नजर आ रही है.

खूब उछला फ्री बिजली का मुद्दा

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में फ्री बिजली का मुद्दा खूब उछाला गया. आम आदमी पार्टी ने इसकी शुरुआत की. आम आदमी पार्टी ने प्रत्येक घर को 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वायदा किया. साथ ही इसके लिए गारंटी कार्ड भी जारी किया गया. इसी मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी ने प्रदेश में जनाधार बढ़ाने की कोशिश की, मगर अब जो स्थिति सामने आ रही है उससे साफ तौर पर लगता है कि जनता ने फ्री के मुद्दों को नकार दिया है.

नहीं लुभा पाये आपे के रोजगार के वादे

आम आदमी पार्टी ने हर युवा को रोजगार, नौकरी न मिलने तक पांच हजार रुपये प्रति माह देने का वायदा किया. इससे आप ने बड़ी संख्या में युवाओं को अपने साथ जोड़ने का काम भी किया. मगर आम आम आदमी पार्टी का उत्तराखंड में पॉलिटिकल स्टंट भी काम नहीं आया. युवाओं ने भी आम आदमी पार्टी को नकार दिया

नहीं काम आया नवनिर्माण का विजन

प्रदेश में सशक्त भू-कानून, पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन रोकने के लिए उत्तराखंडियत पेंशन, देश की पहली यूथ असेंबली का गठन, शिक्षा का बजट बढ़ाकर राज्य के कुल बजट का 25 प्रतिशत करने, पुलिस कर्मियों को 4600 ग्रेड पे, पुरानी पेंशन स्कीम बहाल, उपनल, पीआरडी व अन्य संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण करने, महिला कल्याण की दिशा में सतत प्रयासों जैसे वादे भी आम आदमी पार्टी ने चुनावों में किये थे. जिन पर भी जनता ने कोई खास ध्यान नहीं दिया.

केजरीवाल के दौरों से नहीं बना काम

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड में सियासी जमीन तलाशने के लिए पूरा जोर लगाया. केजरीवाल ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश के सात दौरे किये. हर दौरे में केजरीवाल में नई घोषणा कर जनता को लुभाने की कोशिश की. इसके आम के कई बड़े भी उत्तराखंड के दौरे पर रहे. सभी ने उत्तराखंड में डोर टू डोर कैंपेन कर जनता से जुड़ने की कोशिश की. इसके अलावा घोषणा पत्र में भी जरुरी मुद्दों को ध्यान में रखा गया, मगर उत्तराखंड में इस बार जनता ने आम आदमी पार्टी को साथ ही उसके घोषणा पत्र, मुद्दों, वादों और नेतृत्व को नकार दिया.

 

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