कोरॉना वाइरस के चलते भगवान बद्रीविशाल के कपाट खुलने की तिथि में परिवर्तन हो चुका है जहां बसंत पंचमी को 30 अप्रैल को भगवान बद्रीविशाल के कपाट खुलने की तिथि घोषित की गई पर अब बढ़ते कोरॉन्ना के खतरे को देखते हुए 15 मई को कपाट खुलने का नया दिन तय हुआ है। बद्री विशाल के कपाट खुलने की तिथि में परिवर्तन होने पर कई आचार्य गणों ने संशय उत्पन्न किया है जानकारों का कहना है कि कोरोनावायरस के खतरे को लेकर तिथि तो बदल दी गई लेकिन यह कितनी शुभ कामनाएं लेकर आए गा यह तो समय ही बताएगा। जानकारों का कहना है कि इस बार जो कपाट खुलने की तिथि घोषित हुई है उस दिन जेष्ठ मास कृष्ण अष्टमी 2 गति का दिन सुनिश्चित हुआ है जबकि भगवान बद्री विशाल को वर्ष के आरंभ यानी वैशाख माह में पहला भोग लगाया जाता था इसके अलावा अगर बात करें तो 100 साल के इतिहास में पहली बार भगवान बद्रीविशाल के कपाट खोलने की तिथि में परिवर्तन हुआ है एक आचार्य ने नाम न छापे जाने की सर्त पर पूर्व के दिनों में कपाट खुनले की तिथि के बारे में यह जानकारी दी 15 मई 1983 ज्येष्ठ 1 प्रवि सक्रांति कपाट खुलने के दिन मेष राशि का सूर्य में वैशाख शुक्ल तृतीय, 18 मई 1991 4 गति, उस समय 14 मई तक मलमास के दिन ,18 मई शुद्ध वैशाख शुक्ल पंचमी, 15 मई 1994 सक्रांति 1गति वैशाख शुक्ल चतुर्थी और पंचमी तिथि , 17 मई 2002 तीन गति वैशाख शुक्ल पंचमी, 19 मई 2010 पांच गति 14 मई तक मलमास शुद्ध वैशाख शुक्ल पक्ष, 16 मई 2013 तीन गति वैशाख शुक्ल षष्ठी , इस बार 15 मई 2020 दो गति जेष्ठ कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कपाट खुल रहे है। जबकि भगवान बद्रीविशाल के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल का कहना है कि राजदरबार में जो तिथि परिवर्तन की गई है उस स्थिति में कोई भी अशुभ संकेत नहीं है तिथि को सोच समझकर मानव जाति की रक्षा के लिए सुनिश्चित की गई है कोरोना वायरस देश में पैर पसार रहा है इसलिए उस तिथि पर सोच विचार कर ही राज दरबार ने फैसला किया है वही भगवान बद्रीविशाल के अपर धर्माधिकारी सत्य प्रकाश चमोला का कहना है कि 13 मई को भगवान बद्रीविशाल के कपाट खोलने का श्रीगणेश नरसिंह मंदिर से आरंभ हो जाएगा इसलिए मन में कुछ भी संशय रखना ठीक नहीं होगा, लेकिन कुछ ज्योतिष विद्वानों में स्थिति को लेकर काफी संशय बरकरार है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here