उत्तराखंड कांग्रेस के महामंत्री संगठन विजय सारस्वत सुबह 11 बजे से पूर्व हो गए थे पेश, शाम तक चला सवालों का सिलसिला
अरबों रुपए के रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के प्रकरण कई हैं और किरदार भी। इनमें एक और नाम जुड़ा है उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री संगठन विजय सारस्वत का। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विजय सारस्वत को समन जारी कर शुक्रवार 21 फरवरी 2025 को पेश होने के लिए कहा था। सारस्वत आज 11 बजे से पहले ही ईडी दफ्तर पहुंच चुके थे। इस दौरान ईडी अधिकारियों ने कांग्रेस नेता से रजिस्ट्री फर्जीवाड़े से जुड़े तमाम सवाल किए। ईडी ने सारस्वत से करीब 60 सवाल किए। जिनके जवाब देने में कई बार विजय सारस्वत की जुबान लड़खड़ाती रही। सारस्वत ने ईडी के हाथ लगे करोड़ों रुपए के मनी ट्रेल और उससे जुड़े उनके नाम पर टालने वाले जवाब दिए।
वर्ष 2023 में क्लेमेनटाउन में दूसरे की जमीन के फर्जी कागजात तैयार कर और उसे बेचकर 4.55 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी सामने आई थी। इस मामले में भूमाफिया समीर कामयाब और हुमायूं आदि के साथ कांग्रेस नेता का नाम भी सामने आया था। इसके बाद जब रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की परतें खुलने लगी तो घपले ने व्यापक रूप ले लिया। पुलिस की एसआईटी के मुकदमों के साथ गिरफ्तारियों की लंबी होती फेहरिस्त में ईडी ने भी एंट्री ले ली।
इससे पहले ईडी ने अगस्त 2024 में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े से जुड़े आरोपियों के ठिकानों पर बड़े स्तर पर छापेमारी की थी। उस दौरान ईडी ने उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और असम में आरोपितों के 18 ठिकाने खंगाले थे। तब ईडी ने 95 लाख रुपए की नकदी और आभूषण कब्जे में लेते हुए करोड़ों रुपए की संपत्ति के दस्तावेज भी जब्त किए। जिसमें क्लेमेनटाउन का प्रकरण भी शामिल रहा।
बताया जा रहा है कि छापेमारी के दौरान ईडी ने संपत्ति और मनी ट्रेल के जो दस्तावेज कब्जे में लिए थे, उनकी जांच में विजय सारस्वत का नाम भी सामने आया था। अब ईडी ने सारस्वत से लंबी पूछताछ के बाद जांच को एक कदम और आगे बढ़ाया है। माना जा रहा है कि ईडी रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अब आरोपियों की संपत्ति को भी अटैच कर सकती है। यदि ऐसा होता है तो बड़े स्तर पर और कई प्रभावशाली लोग भी इसकी जद में आएंगे।
जुलाई 2023 में सामने आया था फर्जीवाड़ा, उड़ गए थे होश
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े का मामला जुलाई 2023 में प्रकाश में आया था। जिसमें पता चला कि कुछ नामी अधिवक्ताओं ने प्रापर्टी डीलरों और भूमाफिया से मिलकर देहरादून के सब रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकार्ड रूम में घुसपैठ कर रजिस्ट्रियों के रिकॉर्ड बदल दिए हैं। साथ ही कलेक्ट्रेट के राजस्व अभिलेखागार से रिकॉर्ड भी गायब किए गए हैं। इस काम में सब रजिस्ट्रार कार्यालय के कुछ कार्मिकों ने भी फर्जीवाड़े में मदद की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त रुख के बाद प्रकरण में 02 एसआईटी (पुलिस व स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग) का गठन किया गया। पुलिस ने रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मुख्य मामलों में 13 मुकदमे दर्ज कर 20 आरोपितों को जेल भेजा। इनमें से एक आरोपी केपी सिंह की सहारनपुर जेल में मौत हो चुकी है। वहीं, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग की एसआइटी की संस्तुति पर 70 के करीब मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। सभी में विधिक कार्रवाई गतिमान है।