Home उत्तराखण्ड बल्लियों के सहारे पहाड़ सी जिंदगी जोखिम में डाल रहे ग्रामीण

बल्लियों के सहारे पहाड़ सी जिंदगी जोखिम में डाल रहे ग्रामीण

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जोशीमठ। जोशीमठ 2013 की आपदा को आज पांच साल से अधिक का समय हो गया है पर आज तक पहाड़ों पर जो नुकसान आपदा के दौरान हुआ आज तक वह पूरा नहीं हो पाया है आज भी उर्गम, भर्की गांव मे आने जाने की कोई सुविधा नही है सरकारे आपदा के बाद जीवन पटरी पर लौटाने की बात कर रही है पर ये तस्वीर उन सब दावों को फेल करने के लिए काफी है उत्तराखंड मे मानसून की दस्तक आते ही खतरनाक तस्वीर सामने आती है पर आज तक पहाड़ो मे मानसून की दस्तक की तैयारियो पर केवल बयान बाजी ही होती रही है

पिछले काग्रेस की सरकार के दौरान उत्तराखंड मे आई आपदा को आज तक कोई नहीं भूल पाया है पर आज भी हर रोज लोग बारिश होते ही डर कर राते गुजार रहे है वहीं दिन मे अपनी रोज मरा के जीवन को यापन करने के लिए जान पर खेल रहे है उर्गम घाटी के लोगो का वर्तमान सरकार पर भरोसा था कि कुछ काम होगे और आपदा के हालातो मे सुधार होगा पर ये तस्वीर बया कर रही है कि सरकार किसी की भी बने पर हालात मे सुधार नहीं होने वाले आज भी इंसान बल्लियों के सहारे अपनी जान के साथ खेल रहा है दरसल दो दिन पहले जोशीमठ की उर्गम घाटी मे जमकर बारिश ने कहर भरपाया था जिसमें कल्प गंगा मे बना अस्थायी पुल बह गया ग्रामीणों ने आवाजाही के लिये बल्लियो का पुल बनाया जिसमे गुजरना और भी खतरनाक हो गया है।

 

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