दुनियाभर में 1.9 अरब महिलाएं इस भयावह रोग से पीड़ित है। यह ऐसा रोग है जिसमे पीड़ितों की संख्या में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की संख्या है। हैरानी की बात यह है की इसका मुख्य कारण लापरवाही है। विशेषज्ञों के अनुसार दुनियाभर में साढ़े तीन अरब से अधिक गुर्दे के मरीज हैं जिनमें महिलाओं की तादाद 1.9 अरब है।
विशेषज्ञों की मने तो देश के ग्रामीण इलाकों में गुर्दा संबंधी रोगों को लेकर महिलाओं में जागरूकता फैलाने की जरूरत है जिससे वे अपनी सुरक्षा कर सके और समय पर जांच व इलाज कराएं। मूत्रविज्ञान व गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग के सीनियर कंसल्टेंट विकास जैन के अनुसार गुर्दा खराब होने पर गुर्दे का प्रत्यारोपण ही सही विकल्प है, लेकिन जागरूकता का अभाव होने के कारण गुर्दे की उपलब्धता कम है। उन्होंने कहा, “हमारे पास जो गुर्दा दान करने वाले लोग आ रहे हैं उनमें ज्यादातर अपने परिजनों की जान बचाने के लिए अपना गुर्दा देने वाले लोग हैं। जब तक मृत शरीर से गुर्दे की आपूर्ति नहीं होगी तब तक गुर्दे की जितनी जरूरत है उतनी पूर्ति नहीं हो पाएगी। इसलिए लोग अपने अंग दान करने का संकल्प लें ताकि उनके मरने के बाद उनके अंग किसी के काम आए।” आपको बता दे की विशषज्ञों का कहना है की मधुमेह और उच्च रक्तचाप से गुर्दे की तकलीफें बढ़ती हैं, इसलिए खानपान व आदत में सुधार लाकर इनपर नियंत्रण रखना जरूरी है।
किडनी प्रत्यारोपण क्या है ?
क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीज में अन्य व्यक्ति (जीवित अथवा मृत) की एक स्वस्थ किडनी ऑपरेशन द्वारा लगाने को किडनी प्रत्यारोपण कहते हैं।
किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत कब नहीं होती है?
किसी भी व्यक्ति की दोनों किडनी में से एक किडनी खराब होने पर शरीर के किडनी से संबंधित सभी जरुरी काम दूसरी किडनी की मदद से चल सकते हैं। एक्यूट किडनी डिजीज में उचित उपचार (दवा और कुछ मरीजों में अल्प समय से लिए डायालिसिस) से किडनी पुनः संपूर्ण रूप से कार्य करने लगती है। ऐसे मरीजों को किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत नहीं होती है। किडनी प्रत्यारोपण की खोज क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीजों के लिए एक वरदान है।