सचिव सिंचाई डा आर राजेश कुमार हस्ताक्षर को बताया फर्जी, आनन-फानन में निरस्त किए गए ट्रांसफर

सिंचाई विभाग के अभियंताओं के स्थानांतरण में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। शासन स्तर के कुछ अधिकारियों ने सचिव डॉ आर राजेश कुमार के फर्जी हस्ताक्षर पर 03 अपर सहायक अभियंताओं के ट्रांसफर कर डाले। सचिव आर राजेश कुमार ने ऐसे किसी भी ट्रांसफर आदेश पर हस्ताक्षर से इनकार किया है। जिसके बाद विभाग के एचओडी/प्रमुख अभियंता सुभाष चंद्र ने तीनों स्थानांतरण आदेश निरस्त कर दिए। साथ ही तीनों अभियंताओं को मूल खंडीय कार्यालय से अटैच कर दिया है। इस गंभीर फर्जीवाड़े पर अब एफआईआर का इंतजार किया जा रहा है।

सचिव के फर्जी हस्ताक्षर से यह ट्रांसफर 31 जनवरी को किए गए। जिसमें अपर सहायक अभियंता जयदीप सिंह को पीएमजीएसवाई सिंचाई खंड चंबा से अवस्थापन खंड उत्तरकाशी, अपर सहायक अभियंता सुमित कुमार को पीएमजीएसवाई सिंचाई खंड कोटद्वार से पीएमजीएसवाई सिंचाई खंड श्रीनगर प्रथम और अपर सहायक अभियंता चिरंजी लाल को जर्मनी बांध निर्माण खंड 2 हल्द्वानी से सिंचाई खंड हल्द्वानी उपखंड 1 में भेज दिया गया।

ट्रांसफर के बाद हाल में प्रमुख अभियंता सिंचाई की मुलाकात सचिव डा आर राजेश कुमार से हुई तो उन्होंने बातों ही बातों में पूछ लिया कि सर, ट्रांसफर के लिए उन्हें ही निर्देशित कर देते। सचिव ने आश्चर्य से पूछा कि कौन से ट्रांसफर? जिस पर प्रमुख अभियंता ने शासन की ओर से उनके हस्ताक्षर से हाल में किए गए ट्रांसफर की जानकारी दी।

सचिव ने आदेश देखा तो अपना सिर पकड़ लिया। उन्होंने कहा कि यह हस्ताक्षर तो फर्जी हैं। उन्होंने ऐसे कोई आदेश किए ही नहीं हैं। प्रमुख अभियंता भी समझ गए कि किसी ने फर्जीवाड़ा कर डाला है। जिसके बाद 21 फरवरी को तीनों ट्रांसफर निरस्त कर दिए गए। साथ ही हस्ताक्षर को लेकर आंतरिक जांच शुरू की गई है।

अनुभाग के अफसरों ने किया कारनामा, बलि का बकरा कनिष्ठ सहायक को बनाया
सिंचाई विभाग में इतना बड़ा फर्जीवाड़ा पाए जाने के बाद अधिकारियों ने बलि का बकरा खोजना शुरू कर दिया था। पता चला कि यह कारनामा अनुभाग के अधिकारियों ने किया है। संभावित अधिकारी का पता भी चल गया था। लेकिन, उस पर कार्रवाई नहीं की गई। यहां सिंचाई अनुभाग में तैनात कनिष्ठ सहायक अमित सेमवाल को बलि का बकरा बनाते हुए उन्हें हटा दिया।

क्या होगी एफआईआर? अभियंताओं की भूमिका पर भी सवाल
फर्जी हस्ताक्षर से ट्रांसफर का यह मामला बेहद गंभीर है। ऐसे में सवाल है कि क्या विभाग इस पर एफआईआर कराएगा या प्रकरण को कनिष्ठ सहायक को हटाने के साथ बंद कर दिया जाएगा। दूसरी तरफ इस मामले में फर्जी आदेश से ट्रांसफर किए गए इंजीनियरों की भूमिका पर भी सवाल हैं। खैर, प्रकरण में सिंचाई विभाग की आगे की कार्रवाई या चुप्पी देखने वाली होगी।

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