रुद्रपुर। जिसे अपनी जमीन की देखभाल के लिए मुखत्यार बनाया, उसी ने पीठ में छुरा घोंप दिया और करोड़ों की जमीन का सौदा कर डाला। वो भी फर्जी दस्तावेजों के जरिये। जब मामले का खुलासा हुआ जमीन पर मालिकाना हक रखने वालों के होश फाख्ता हो गए। बात तब और बिगड़ गई जब यह पता लगा कि जमीन बेच कर करोड़ रुपये जालसाज ने कैश भी कर लिए हैं। मामले खुलने के बाद मृतक जमीन मालिक के नाती ने आरोपी जालसाज के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। पूरा फर्जीवाड़ा पौने पांच करोड़ का बताया जा रहा है। किच्छा निवासी स्व.जगशरण सिंह संधू, महेंद्र प्रताप अटवाल पुत्र भूपेंद्र सिंह अटवाल के नाना हैं।
महेंद्र की मानें तो नाना काफी वृद्ध थे और उनके पास करोड़ों रुपये कीमत की जमीन थी। वह इतनी बड़ा जायजाद की देखरेख नहीं कर सकते थे। इसके लिए मरने से पहले जगशरण सिंह संधू ने संधू फार्म फाजलपुर महरौला निवासी गुरप्रीत सिंह संधू पुत्र स्व.हरपाल सिंह संधू को जमीन का मुखत्यार बनाया था और 12 मई 2009 को बाकायदा इसका मुखत्यारनामा किया गया था। जगशरण का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था। जिसके चलते अपनी मौत से पहले 27 अप्रैल 2016 को उन्होंने मुखत्यारनामा रद्द कर दिया। और अगले ही दिन 28 अप्रैल को निरस्त मुखत्यारनामा तहसील में जमा भी करा दिया गया। हालांकि जमीन पर गुरप्रीत सिंह संधू की नीयत खराब हो चुकी थी। मुखत्यारनामा निरस्तीकरण की जानकारी होने के बाद भी उसने जमीन का सौदा कर दिया। गुरप्रीत ने 2.8339 हैक्टेयर जमीन गुरुबचन सिंह ढिल्लो को बेची। जबकि 0.4048 हैक्टेयर जमीन अकील मलिक नाम के व्यक्ति को बेच डाली। दोनों जमीन का सौदा 4,73,83,000 करोड़ रुपये में किया गया। तकरीबन तीस चेकों के जरिये कुछ भुगतान पंजाब एंड सिंध बैंक में खुले गुरप्रीत सिंह संधू के खाते में किए गए। जबकि लाखों की रकम का भुगतान कैश किया गया। इस मामले का जब खुलासा हुआ तो महेंद्र प्रताप अटवाल ने गुरप्रीत से संपर्क किया, लेकिन गुरप्रीत ने महेंद्र के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। मामले में पुलिस ने पूरी जांच की और जिसके बाद आरोपी के खिलाफ पुलिस ने धारा 420, 467, 468 व 471 के तहत मामला दर्ज कर लिया।

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