तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की निमात्री कंपनी एनटीपी की ओर से परियोजना में कार्यरत 40 कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। जिसका कर्मियों ने मंगलवार को विरोध किया। हालांकि मामले में उपजिलाधिकारी वैभव गुप्ता के हस्तक्षेप के बाद कंपनी प्रबंधन द्वारा कर्मियों को अन्य सहयोगी कंपनियों में रोजगार के आश्वासन पर सहमति बन गई है।
जोशीमठ ब्लॉक मुख्यालय के समीप एनटीपीसी की ओर से 520 मेगावट क्षमता की तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें कंपनी प्रबंधन की ओर से अनुबंध के मुताबिक स्थानीय युवाओं को रोजगार दिया गया था। लेकिन बीती 1 मई को कंपनी के पुर्नवास एवं पुर्नस्थापना संसाधन अधिकारी द्वारा मौखिक रुप से आदेश देते हुए कंपनी से 40 कर्मियों को सेवा समाप्ति की बात कही गई। जिसके बाद से कर्मियों द्वारा कंपनी प्रबंधन से सेवा से हटाने के कारण जानने को प्रयास किया गया। लेकिन कंपनी प्रबंधन की ओर कोई भी जवाब नहीं दिया गया। जिसे देखते हुए मंगलवार को कर्मियों ने कंपनी के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन कर धरना शुरु कर दिया। साथ ही कर्मियों ने मामले में उपजिलाधिकारी से हस्तक्षेप की मांग की। जिस पर जिलाधिकारी की मध्यस्थता में तत्काल बैठक आयोजित की गई। बैठक में कंपनी प्रबंधन की ओर से डीजीएम एसएस पंवार व पुर्नवास एवं पुर्नस्थापना संसाधन अधिकारी एके घिडिल्डियाल ने भाग लिया। इस दौरान उन्होंने सभी कर्मियों को अपनी अन्य सहयोगी कंपनियों में रोजगार देने का मौखिक आश्वासन दिया। जिस पर कर्मियों और कंपनी प्रबंधन के मध्य सहमति बन गई है। इस मौके पर देवेन्द्र सिंह बिष्ट, जगदंबा प्रसाद, अजय रतूड़ी, पूनम भुजवाण, पिंकी डिमरी, आरती, नरदेव महिपाल, उतम भुजवाण, रेनू मंद्रवाल और दीपा डिमरी आदि मौजूद थे।