रुद्रपुर। मंडलायुक्त राजीव रौतेला ने पहली बार जनपद आगमन पर जिला अस्पताल का निरीक्षण करके खामियों को दुरुस्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि अस्पताल के अग्र भाग का मास्टर प्लान बनाया जाए तथा फैक्ट्रियों के सीएसआर फंड से अस्पताल के पार्क आदि का रखरखाव ठीक कराया जाए। आयुक्त ने 15 दिन के अंदर जिला अस्पताल में प्रसव पीड़िताओं का सीजेरियन शुरू कराने के निर्देश दिए। उन्होंने बिलिंग विंडो पर भीड़ देखकर कहा कि बिलिंग के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए।
रौतेला बुधवार की सुबह ठीक सवा नौ बजे जिलाधिकारी डा. नीरज खैरवाल के साथ जिला अस्पताल पहुंचे। उन्होंने पहुंचते ही अस्पताल की भूमि के बारे में जानकारी हासिल की तो बताया कि अस्पताल परिसर 28 एकड़ में है। उन्होंने सीएमएस बीएस सामंत से सवाल किया कि क्या वह मरीज देखते हैं तो सीएमएस ने बताया कि वह खुद रोगियों को देखते हैं। जिस पर आयुक्त ने कहा कि वह लगातार पूरे अस्पताल का कई बार निरीक्षण करें। मुख्य प्रवेश द्वार के सामने खाली पड़ी जमीन पर ग्रीनरी के रखरखाव के निर्देश दिए ताकि अस्पताल परिसर सुंदर लगे। साथ ही अस्पताल परिसर में वाहनों के बेतरतीव खड़े होने पर पूछा कि यहां पार्किंग की व्यवस्था है? जिस पर सीएमएस ने पार्किंग ठेकेदार होने की बात कही तो आयुक्त ने सवाल किया कि फिर यह वाहन ऐसे क्यों खड़े हैं? उन्होंने स्टाफ के लिए पार्किंग में ही अलग जोन बनाने को कहा। फिर आयुक्त ने अस्पताल के टायलेट का निरीक्षण किया जहां सफाई हो रही थी, पानी फैला हुआ था। आयुक्त ने कहा कि टायलेट ठीक उसी तरह क्लीन होना चाहिए, जैसे आपरेशन थियेटर होता है। कहा कि पानी फैले होने से कोई भी गर्भवती फिसल कर गिर सकती है। उन्होंने कहा कि टायलेट की आकस्मिक चेकिंग होनी चाहिए। टायलेट के समीप पड़े टीनशेड पर उन्होंने आपत्ति जताई। यहां पेशाबघर के संकेत बोर्ड के नीचे रक्तदान कीजिए का बोर्ड देखकर आयुक्त ने अस्पताल प्रबंधक पर सवाल उठाया। कहा कि कोई भी बोर्ड कहां लगाया जाना है यह तो तय होना चाहिए।
उसके बाद अस्पताल परिसर में घुसते ही उन्होंने एक दिव्यांग से बात की। उसके आने का कारण पूछा तथा उसके दिव्यांग प्रमाणपत्र के लिए एक अधिकारी की ड्यूटी लगाई। अस्पताल के बिलिंग काउंटर पर खुले पैसे न होने पर एटीएम कार्ड स्वैप कराए का बोर्ड देखकर उन्होंने स्वैप शब्द पर आपत्ति करते हुए कहा कि न हिन्दी आती है और न ही अंग्रेजी। कहा कि अस्पताल प्रबंधक का चयन ही गलत हो गया है। अस्पताल परिसर में जगह जगह लगे सूचना बोर्डों को देखकर आयुक्त बोले कि सर्कस जैसा बना रखा है। सारी सूचनाएं एक बड़ी एलईडी लगाकर उन पर प्रसारित की जाएं। आयुक्त ने कहा कि एक डायरेक्टरी बनाकर बताया जाए कि कौन सा डाक्टर कहां बैठता है। साथ ही कहा कि जहां रोगी का परचा बनता है वहीं रोगी की परेशानी पूछ कर उसे बताया जाए कि उसे किस डाक्टर को दिखाया जाए। अस्पताल में जगह जगह विकलांग शब्द के प्रयोग पर उन्होंने आपत्ति जताई कहा कि विकलांग की जगह दिव्यांग शब्द का इस्तेमाल किया जाए। जहां रोगियों के परचे बन रहे थे वहां काफी लंबी लाइनें थी जिस पर आयुक्त ने कहा कि बिलिंग केंद्र पर अतिरिक्त कर्मचारी लगाए जाएं। एक तो यहां बीमार लोग आते हैं और दूसरे उन्हें लाइनों में लगना पड़ता है। कहा कि किसी भी रोगी को 15 मिनट से ज्यादा नहीं लगने चाहिए। आयुक्त ने आशा हेल्प डेस्क का निरीक्षण करके वहां लगे आपातकालीन चिकित्साधिकारी का बोर्ड देख कर कहा कि यह ऐसा लगा जैसे सस्ते गल्ले की दुकान पर बोर्ड लगे होते हैं। काउंटर पर रखा रजिस्टर बेहद खस्ताहाल में था, जिस पर उन्होंने नाराजगी जताई।
रौतेला ने आईसीटीसी परामर्शदाता का अव्यवस्थित रूम देखा तो कहा कि यहां कोई क्या परामर्श लेने आएगा। आयुक्त ने डाक्टरों के कक्षों का निरीक्षण किया तथा रोगियों से बात करके उनकी परेशानी भी पूछी। ओटी का निरीक्षण करने के दौरान उन्होंने 15 दिन में सीजेरियन शुरू करने के निर्देश दिए। साथ ही परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत लोगों को प्रोत्साहित करने को भी कहा। बच्चों का टीकाकरण कराने आई महिलाओं की लंबी लाइन देखकर आयुक्त ने कहा कि इन्हें बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था की जाए। महिलाएं छोटे बच्चों को लेकर कितनी देर खड़ी रहेंगी। प्रसूता वार्ड का निरीक्षण करने के दौरान उन्होंने स्टाफ नर्सों से कहा कि वह प्रसूताओं को बताएं कि वह बच्चे को स्तनपान कराएं, जिससे बच्चों को बीमारी कम हों। बाद में मीडिया से बात करते हुए श्री रौतेला ने कहा कि जिला अस्पताल में बहुत से क्षेत्र में सुधार की गुंजाइश है। अस्पतालों को अमूमन इतनी भूमि नहीं मिलती। अस्पताल में लगी सूचनाओं को एक पठनीय सुस्पष्ट शब्दों में अंकित करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रसूता को कम से कम 48 घंटे तक रोका जाना चाहिए। अस्पताल प्रशासन रोगियों के साथ संवेदनशीलता दिखाएं। बताया कि सीडीओ व एडीएम संयुक्त रूप से जिला अस्पताल का निरीक्षण करेंगे।
जिला अस्पताल के सीएमएस डा. बीएस सामंत को विकलांग व दिव्यांग में अंतर नहीं पता था। आयुक्त राजीव रौतेला ने निरीक्षण के दौरान विकलांग की जगह दिव्यांग लिखवाने के निर्देश दिए थे, लेकिन निरीक्षण के दौरान वह डाक्टरों के कक्षों तक पहुंचे तो एक डाक्टर का कक्ष बंद था। जिस पर आयुक्त ने पूछा कि डाक्टर कहां तो सीएमएस बोले कि वह विकलांग शिविर में गए हैं। जिस पर आयुक्त ने बड़ी हैरानी से उन्हें देखा और कहा कि क्यों न उन्हें एडवर्स एंट्री जारी कर दी जाए। बाद में जिलाधिकारी डा. नीरज खैरवाल ने सीएमएस को चेतावनी जारी करने के निर्देश एडीएम को दिए।

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