गंगा आरती मे पहुंचे आईटीबीपी के सीओ विक्रात थपलियाल
उत्तराखंड के प्रथम प्रयाग विष्णुप्रयाग मे आज आश्विन कृष्ण पक्ष के अवसर इंदिरा एकादशी के अवसर पर गंगा आरती समिति जोशीमठ के द्वारा गंगा आरती और विष्णु सहस्र नाम का पाठ किया गया इस अवसर पर आईटीबीपी के सीओ विक्रात थपलियाल भी मौजूद रहे वही इस अवसर पर ऋषि प्रसाद सती ने बताया कि आश्विन कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी का महत्व युधिष्ठिर ने पूछा मधुसूदन कृपा करके मुझे यह बताइए अश्विन के कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है भगवान कृष्ण बोले राजन आश्विन कृष्ण पक्ष में इंदिरा नाम की एकादशी होती है उसके व्रत के प्रभाव से बड़े-बड़े पापों का नाश हो जाता है नीच योनि में पड़े हुए पितरों को भी यह एकादशी सद्गति देने वाली होती है राजन पूर्व काल की बात है सतयुग में इंद्रसेन नाम से विख्यात राजकुमार थे जो अब महिष्मति पूरी के राजा होकर धर्म पूर्वक प्रजा का पालन करते थे उनका यश सबौर फैला था राजा इंद्र सेन भगवान विष्णु की भक्ति में तत्पर होकर गोविंद के मोक्ष दायक नामों का ज प करते हुए समय व्यतीत करते थे और विधिपूर्वक अध्यात्म तत्व के चिंतन में संलग्न रहते थे एक दिन राजा राज सभा में सुख पूर्वक बैठे हुए थे इतने में देवर्षि नारद जी आकाश मार्ग से उतर कर वहां पहुंचे उन्हें आया देख राजा हाथ जोड़कर खड़े हो गए और विधि पूर्वक पूजन करके उन्हें आदर सहित आसन पर बिठाया इसके बाद वह इस प्रकार बोले मुनी श्रेष्ठ आपकी कृपा से मेरी सर्वथा कुशल है आज आपके दर्शन से मेरी संपूर्ण यज्ञ क्रियाएं हैं सफल हो गई है देवर्षि अपने आगमन का कारण बता कर मुझ पर कृपा करें नारद जी ने कहां हे राजन सुनो मेरी बात तुम्हें आश्चर्य में डालने वाली है मैं ब्रह्मलोक से यमलोक में आया हूं वहां पर एक श्रेष्ठ आसन पर बैठा हूं और यमराज ने मेरी भक्ति पूर्वक पूजा की उस समय यमराज की सभा में मैंने तुम्हारे पिता श्री को देखा था वे व्रत भंग के दोष से वहां आए थे राजन उन्होंने तुमसे कहने के लिए एक संदेश दिया है उसे सुनो उन्होंने कहा है बेटा मुझे इंदिरा एकादशी के व्रत का पुण्य देकर स्वर्ग लोक में भेजो उनका जो संदेश लेकर मैं तुम्हारे पास आया हूं हे राजन अपने पिता को स्वर्ग की प्राप्ति के लिए इंदिरा का व्रत करो राजा ने पूछा भगवान कृपा करके इंदिरा का व्रत के बारे में बताइए किस पक्ष में किस तिथि में और किस विधि से उस व्रत को करना चाहिए नारद जी ने कहा राजेंद्र सुनो मैं तुम्हें इस व्रत का शुभ कारक विधि बताता हूं आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में दसवीं के उत्तम दिन को श्रद्धा युक्त चित से प्रातः काल स्नान करें फिर मध्यान में स्नान करके एकाग्र चित्त होकर एक समय भोजन करें तथा रात्रि में भूमि पर सोएं रात्रि के अंत में निर्मल प्रभात होने पर एकादशी के दिन दातुन करके मुंह धोएं इसके बाद भक्ति भाव से उपवास का नियम ग्रहण करें कमलनयन भगवान नारायण आज में अपने भोगों से अलग होकर निराहार रहकर कल भोजन करूंगा अच्युत आप मुझे अपनी शरण दे इस प्रकार नियम करके मध्यान काल में पितरों की प्रसन्नता के लिए शालिग्राम शीला के सम्मुख विधि पूर्वक श्राद्ध करें तथा दक्षिणा से ब्राह्मणों का सत्कार करके उन्हें भोजन कराएं पितरों को दिए हुए चावल के पिंड को पूजन कर विद्वान पुरुष गाय को खिला दें फिर धूप और चंदन आदि से भगवान विष्णु की पूजन कर रात्रि में उनके समीप जागरण करें तत्पश्चात सुबह होने पर द्वादशी के दिन पुनः भक्ति पूर्वक श्री हरि की पूजा करें उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर भाई बंधु नाती और पुत्र आदि के साथ स्वयं मौन होकर भोजन करें हे राजन इस विधि से आलस्य रहित होकर तुम इंदिरा का व्रत करो इससे तुम्हारे पितृ भगवान विष्णु के बैकुंठ धाम में चले जाएंगे भगवान कृष्ण कहते हैं हे राजन राजा इंद्र सैन से ऐसा कहकर देवर से नाराज अंतर्ध्यान हो गए राजा ने उनकी बताई हुई विधि से अंतपुर की रानियों के साथ पुत्रों भाई बंधुओं के साथ उस उत्तम व्रत को अनुष्ठान पूर्वक किया कुंती नंदन व्रत पूर्ण होने पर आकाश से फूलों के वर्षा होने लगी इंद्रसेन के पिता गरुड़ पर आरूढ़ होकर श्री विष्णु धाम को चले गए और राजर्षि इंद्रसेन भी अ कंटक राज्य का उपभोग करने पर अपने पुत्र को भी राज गद्दी सौंप कर स्वर्ग लोग चले गए इस प्रकार मैंने तुम्हारे सामने व्रत के इंदिरा एकादशी का महत्व का वर्णन किया उसके पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है और स्वर्ग की प्राप्ति करता है
वही गंगा आरती समिति के प्रवक्ता बलवंत सिंह रावत ने सुन्दर भजन कर सबका मनमोह लिया इस अवसर पर गंगा आरती समिति विष्णुप्रयाग के सभी पदाधिकारी के साथ आईटीबीपी के सीओ श्री विक्रात थपलियाल , पंडित दुर्गा प्रसाद ,सूरज सकलानी, गोपाल भट्ट,सतीश भट्ट,सरजीत राणा,भगवती प्रसाद कपरवाण,श्रीमती विजया रावत ,श्रीमती देवश्वरी देवी कपरवाण,रजना शर्मा,विमला देवी,आदि मौजूद रहे