रिपोर्टर दीपक भारद्वाज सितारगंज

डॉ गणेश उपाध्याय पूर्व दर्जा मंत्री व किसान नेता सरकार से कहा है , उत्तराखंड का अन्नदाता ,किसान लॉकडाउन के निर्देशों का पालन करते हुए चाहे मजदूरों हो सोशियल डिस्टेंस लगातार बनाए हुए हैं

। सरकार कहती है कि तीन मजदूर व कंबाइन से गेहूं की मड़ाई करे । अन्नदाताओं काम चलने वाला नहीं है, जो किसान पॉपुलर की खेत गेहूं की कटाई व मड़ाई करनी है वहाँ कंबाइन नहीं चल सकती है। इस कार्य हेतु कम से कम 8 से 10 श्रमिकों की आवश्यकता होती है। सरकार किसान हित मे शीघ्र ही अपने स्तर से निर्णय करें सरकार द्वारा निर्धारित बोनस सहित जो गेहूं के दाम 1945 रु निर्धारित कर रखे हैं उन्हीं मूल्य व अधिक दरों पर खरीद, मिल स्वामी व आढ़ती को करना चाहिए। अगर सरकार की निर्धारित मूल्य से कम दरों में किसान से जो भी गेहूं खरीदे उसके खिलाफ सरकार को एफ आई आर दर्ज करनी चाहिए । क्योंकि किसान की कमर पहले ही बेमौसम की बरसात से टूट चुकी है। गेहूं ,लाई ,मटर व टमाटरआदि अन्य अनाज पूर्णता बर्बाद हो चुकी है। गेहूं भी 30% बर्बाद हो चुकी है इसलिए किसानों भुगतान तुरंत ही 24 घंटे के अंदर करे। इससे पूर्व भी धान के दौरान सरकार ने कहा था कि 24 घंटे के अंदर भुगतान करेंगे ,लेकिन तीन-तीन माह तक भुगतान नहीं हो पाया । अभी भी 3 करोड़ लगभग का भुगतान धान का सरकार ने किसानों का करना है। वही किसानों का उत्तराखंड में वर्तमान में अरबों रुपयों का गन्ने का भुगतान होना बाकी है अब बताइए उत्तराखंड का अन्नदाता कैसे अपने परिवार व उत्तराखंड को पालेगा।

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