कामख्या देवी मंदिर पिथौरागढ से 10 km दूर “कसुली” नामक स्थान पर स्थित है और यह स्थान सुंदर चोटियों से घिरा हुआ है । “कामख्या देवी” के मंदिर की स्थापना 1972 में की गई थी | कामख्या देवी मंदिर कानिर्माण मदन शर्मा और उनके परिवार के द्वारा किया गया है | कामाख्या देवी को नारीत्व के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है । एक छोटे से मंदिर के रूप में शुरू हुआ इस मंदिर का सफ़र आज स्थानीय लोगो के प्रयास से बेहद सुन्दर और विशाल मंदिर में तब्दील हो गया है | इस मंदिर कि विशेषता यह है कि यह उत्तराखंड में कामख्या देवी का सिर्फ एक मात्र मंदिर है | लोगो का विश्वास है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने से लोगो की सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है | कामख्या देवी का मुख्य मंदिर असाम गुवहाटी में स्थित है | यह पुरे उत्तराखंड में प्रमुख है | इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर में मन्नत लेके आता है तो उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है |यह मंदिर धार्मिक स्थल के साथ पर्यटक स्थल के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है | इस स्थान से पिथौरागढ का जो दृश्य दिखता है वह बहुत ही अद्भुत है | अपने नैसर्गिक सौन्दर्य से आज यह बाहर से आने वाले पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगो को भी खूब लुभा रहा है | माता कामख्या का दरबार सिर्फ धार्मिक महत्ता का ही नहीं , पर्यटक के क्षेत्र में भी प्रमुख है | इस स्थान में आकर धार्मिक आस्था पूर्ण हो जाती है |