उत्तराखंड के इस विभाग में कर अधिकारियों के पद समाप्त, कर्मचारियों ने खोला मोर्चा; आरपार की लड़ाई छेड़ने का एलान
उत्तराखंड राज्य कर कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के बैनर तले कर्मचारियों ने आंदोलन की शुरुआत शनिवार को दो घंटे के धरना-प्रदर्शन से की। पूर्व में इन पदों की संख्या करीब 234 थी। जिसमें 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती जबकि 50 प्रतिशत पद पदोन्नति के माध्यम से भरे जाने की व्यवस्था थी। मिनिस्टीरियल संवर्ग के सैकड़ों कर्मचारियों के अफसर बनने की उम्मीद भी धूमिल हो गई है।

राज्य कर (स्टेट जीएसटी) विभाग में राज्य कर अधिकारियों के पद समाप्त कर दिए गए हैं। पूर्व में इन पदों की संख्या करीब 234 थी। जिसमें 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती, जबकि 50 प्रतिशत पद पदोन्नति के माध्यम से भरे जाने की व्यवस्था थी। अब विभागीय ढांचे में इन पदों को समाप्त कर दिया है। इसी के साथ मिनिस्टीरियल संवर्ग के सैकड़ों कर्मचारियों के अफसर बनने की उम्मीद भी धूमिल हो गई है।

क्योंकि, नए ढांचे में अधिकारी संवर्ग का निम्नतम पद अब सहायक आयुक्त से शुरू होगा। इस आशंका को लेकर उत्तराखंड राज्य कर कर्मचारी संयुक्त मोर्चा लंबे समय से आंदोलन की चेतावनी दे रहा था। अब शासन ने कर्मचारियों की आशंका के अनुरूप संशोधित ढांचे का आदेश जारी किया तो कर्मचारियों ने आरपार की लड़ाई छेड़ने का एलान कर दिया है।

उत्तराखंड राज्य कर कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के बैनर तले कर्मचारियों ने आंदोलन की शुरुआत शनिवार को दो घंटे के धरना-प्रदर्शन से की। राज्य कर मुख्यालय समेत प्रदेश के विभिन्न कार्यालयों में कर्मचारियों ने धरना दिया। इस दौरान संयुक्त मोर्चा के जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि ढांचे के पुनर्गठन में शासन/विभाग ने कर्मचारी संगठनों को विश्वास में नहीं लिया।

जबकि दूसरी तरफ अधिकारी संवर्ग के पदों में एकतरफा बढ़ोतरी कर कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ने का प्रयास किया गया। संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि समूह ”ग” के कर्मचारी इस राज्य के मूल निवासी हैं। जो विभाग में करीब 20-25 वर्षों की अनवरत विभागीय सेवा करने के बाद पदोन्नत होने पर समूह पीएचपी श्रेणी में राज्य कर अधिकारी के रूप में राजपत्रित प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं, लेकिन राज्य कर अधिकारियों के पद समाप्त कर दिए जाने से कर्मचारियों की कार्यदक्षता और मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है

संयुक्त मोर्चा के महासचिव अरविंद जोशी ने कहा कि शासन/विभाग पूर्व में दो बार अधिकारियों का ढांचा पुनर्गठित कर चुका है और अब फिर से अधिकारियों के पदों में बढ़तोरी की गई है। जिसका खामियाजा कर्मचारियों को राज्य कर अधिकारियों के पदों में कटौती के रूप में उठाना पड़ा है।

उन्होंने चेताया कि यदि शीघ्र कर्मचारियों की मांग पर कार्रवाई नहीं की गई तो चरणवार आंदोलन शुरू किया जाएगा। जिसकी शुरुआत अगले चरण में एक जुलाई से दो घंटे के अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार से की जाएगी। जिसके बाद क्रमिक अनशन, मुख्यालय, सचिवालय घेराव आदि कार्यक्रम किए जाएंगे। धरने पर बैठने वालों में वैयक्तिक सहायक/अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सपरा, मिनिस्टीरियल संघ के संरक्षक भरत सिंह राणा, सलाहकार मनमोहन सिंह नेगी, गीताराम डोभाल आदि शामिल रहे।