देहरादून।

उत्तराखंड में वर्षा और भूस्खलन से नुकसान का सिलसिला जारी है। बीते 24 घंटे में प्रदेश में भारी वर्षा से आठ मकान ध्वस्त हो गए। कई बीघा खेत बह गए। सड़कें, पेयजल और विद्युत लाइन व पोल भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। भूस्खलन के कारण राजमार्गों पर आवागमन खतरनाक हो गया है। गंगा समेत अन्य नदियां और बरसाती नाले उफान पर हैं।

मौसम विभाग के अनुसार, अगले चार दिन तक प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ तेज बारिश के आसार हैं। कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है। शनिवार को पौड़ी, नैनीताल और उधम सिंह नगर भारी से बहुत भारी वर्षा का ऑरेंज अलर्ट, जबकि देहरादून में भारी वर्षा का येलो अलर्ट जारी किया गया है। राज्य में 203 संपर्क मार्ग बंद हैं।

बुधवार को रुद्रप्रयाग के कांदी ग्राम पंचायत में अतिवृष्टि से कई बीघा खेत बह गए। एक मकान जमींदोज हो गया, जबकि कई में दरारें आई हैं। टिहरी जिले के कोट गांव में वर्षा के बीच पहाड़ी से गिरे मलबे की चपेट में आकर चार मकान ध्वस्त हो गए। तीन को नुकसान पहुंचा है। मलबे में दबकर सात मवेशियों की मौत हो गई। भूस्खलन से 45 से अधिक भवन खतरे की जद में हैं।

जोशीमठ के सिंहधार में दो मंजिला मकान का एक हिस्सा टूट गया। मनोहर बाग के पास औली मोटर मार्ग का 20 मीटर हिस्सा धंस गया है। भारी वर्षा से मुनस्यारी इलाके में एक-एक मकान ध्वस्त हो गया। वर्षा की चेतावनी के कारण चमोली, बागेश्वर और चंपावत में कक्षा एक से 12वीं तक के विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहे।

पांचवें दिन खुला यमुनोत्री राजमार्ग उत्तरकाशी के डाबरकोट में मलबा आने से बंद यमुनोत्री राजमार्ग पांचवें दिन बुधवार शाम साढ़े छह बजे खोला जा सका। गुरुवार को भी हाईवे पर लगातार मलबा आने से यातायात प्रभावित रहा। गंगोत्री राजमार्ग भी सुबह मलबा आने से बंद हो गया और दोपहर दो बजे खुला। रुद्रप्रयाग में गौरीकुंड राजमार्ग फाटा में चार घंटे अवरुद्ध रहा। पिथौरागढ़ में चीन सीमा को जोड़ने वाला तवाघाट-लिपुलेख मार्ग दोबाटा में दो दिन से बंद है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here