Home उत्तराखण्ड शक्तिफार्म में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान की जांच करते अधिकारी

शक्तिफार्म में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान की जांच करते अधिकारी

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दीपक भारद्वाज सितारगंज
सितारगंज। ग्रामीणों ने सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता को सरकारी राषन बेचते रंगे हाथ दबोच लिया। राषन को षक्तिफार्म पुलिस को सौंप दिया गया। बाद में पूर्ति निरीक्षक आदि ने पुलिस से राषन को कब्जे में लिया। सस्ते गल्ले की दुकान को सील कर दिया गया। सस्ता गल्ला विक्रेता के पास दो दुकानें अटैच की गई थी। उनमें भी राषन वितरण पर पाबंदी लगा दी गई हैं।
षक्तिफार्म के निर्मलनगर में सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता सुरेष मंडल का कोटा है। रविवार की रात करीब नौ बजे इस दुकान से सस्ते गल्ले के चार कट्टे चावल की कालाबाजारी की जा रही थी। आसपास के ग्रामीणों को इसकी भनक लगी तो उन्होंने मौके पर पहुंचकर चावल पकड़ लिया। बाद में चावल को षक्तिफार्म पुलिस चौकी को सौंप दिया गया। रात्रि में ही पूर्ति निरीक्षक धर्मेन्द्र धामी व एसएमओ दीपक सक्सेना आदि मौके पर पहुंचे। उन्होंने पुलिस से चावल कब्जे में लिया। बाद में चावल एसएमआई के सुपुर्द कर दिया गया। सस्ता गल्ला विक्रेता की दुकान के स्टाक की जांच भी की गई। दुकान को सील कर दिया गया।

बताया जाता है कि सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता सुरेष ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया। उसका कहना था कि उसके पुत्र ने चावल बेचा था। सुरेष के पास निर्मलनगर में एक और सरकारी सस्ता गल्ले की दुकान अटैच की गई है। उसी के पास एक और दुकान पिपलिया में भी है। इन दोनो दुकानों से राषन वितरण पर भी पाबंदी लगा दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जायेगी। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी कई बार सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों से राषन की कालाबाजारी के मामले प्रकाष में आते रहे हैं। उन पर प्रभावी कार्यवाही न होने से अन्य कालाबाजारियों के हौसले बुलंद हैं। जब भी कालाबाजारी का कोई मामला सामने आता है तो कुछ दिन हो हल्ला मचता है। बाद में मामले को रफा दफा कर दिया जाता है।

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