Home उत्तराखण्ड शहीद विपिन सिंह गुसाईं का पार्थिव शरीर पहुंचा उनके पैतृक गांव, मुख्यमंत्री...

शहीद विपिन सिंह गुसाईं का पार्थिव शरीर पहुंचा उनके पैतृक गांव, मुख्यमंत्री ने पुष्पचक्र कर दी श्रद्धांजलि।

474
2
SHARE

पौड़ी गढ़वाल: देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद विपिन सिंह गुसाईं का पार्थिव शरीर पहुंचा उनके पैतृक गांव , मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुष्पचक्र कर दी श्रद्धांजलि।

सियाचिन में शहीद हुए उत्तराखंड में पाबौ विकासखंड के धारकोट निवासी विपिन सिंह का पार्थिव शरीर मंगलवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गांव पहुंचकर शहीद को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। दोपहर बाद पैतृक घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति व शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। मुख्यमंत्री ने कहा की शहीद के परिजनों को राज्य सरकार द्वारा हर संभव मदद दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि शहीद के गांव जाने वाला मोटर मार्ग धारकोट- इठूड का नाम तथा राजकीय इंटर कॉलेज चम्पेश्वर का नाम शहीद विपिन सिंह गुसाईं के नाम पर की जाएगी।

इस दौरान सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, जिलाधिकारी डॉ. विजय जोगदण्डे, एसएसपी पी रेणुका देवी भी शामिल रहे।

शहीद विपिन सिंह 57 बंगला इंजीनियरिंग में थे और इन दिनों सियाचिन में तैनात थे। विपिन सिंह (24) करीब 4 साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। सियाचिन में पैर फिसलने से वह ग्लेशियर की चपेट में आ गए और शहीद हो गए थे। धारकोट गांव के प्रधान यशवंत गुसाईं ने बताया कि रविवार दोपहर को विपिन सिंह के परिजनों को सैन्य अधिकारियों ने फोन पर बताया गया था कि विपिन सिंह सियाचिन में शहीद हो गए हैं। शहीद के माता और पिता गांव में रहते हैं। पिता भी सेना से रिटायर्ड है। बड़ा भाई भी सेना में है और बड़े भाई का परिवार कोटद्वार में रहता है। विपिन सिंह मार्च में छुट्टी पर आए थे।

 

2 COMMENTS

  1. You can certainly see your skills in the work you
    write. The sector hopes for even more passionate writers such as you who aren’t
    afraid to say how they believe. All the time follow your heart.

  2. AI innovations have woven themselves into diverse dimensions of
    life. A notably provocative offshoot of this technology is the AI
    undresser.

    AI undressers are software that use neural networks
    to digitally remove garments from images of people.

    The appearance of such innovations has ignited countless moral questions.

    On one hand, AI undressers might be used for
    beneficial purposes, such as clinical evaluation and forensic investigations.

    In the field of medicine, AI undressers could aid physicians in more effectively understanding the underlying details of the body.

    This may enable more accurate clinical evaluations and medical
    strategies.

    In forensic investigations, AI undressers could aid investigators by revealing critical evidence that would otherwise be obscured.

    On the flip side, the danger of exploitation is immense.

    There is a substantial risk that AI undressers might
    be misused for voyeuristic intentions, causing serious violations of personal security.

    The capacity to disrobe someone synthetically without their
    permission generates significant moral dilemmas.

    There is a strong contention that the creation of AI undressers
    infringes upon core values of privacy.

    As AI further evolve, the controversy surrounding AI undressers is likely
    to escalate.

    There are mounting demands for stringent rules and legal oversight to manage
    the deployment of AI undressers.

    There are many who support a balance that permits the beneficial applications of AI undressers while protecting personal autonomy.

    In conclusion, AI undressers embody a hotly debated confluence of technology and morality.

    The debate around their use underscores broader societal questions about
    the impact of AI in our lives.

    As we navigate this new world of AI, it is imperative that we think
    about the ethical ramifications of our innovations.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here