Home उत्तराखण्ड किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया

किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया

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स्थान सितारगंज उधम सिंह नगर
रिपोर्टर दीपक भारद्वाज सितारगंज

सितारगंज। आधुनिकता के युग मे तेजी से बदलते परिवेश के कारण लोगों में गलत खानपान के बढ़ते प्रचलन की जगह जीवन मे जैविक खाद्य पदार्थों की महत्त्वता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से निकटवर्ती ग्राम बिजटी में एक किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें इंग्लैंड से वापस लौटे काश्तकार गुरप्रीत सिंह संधू ने उनके द्वारा जैविक तरीकों से उगाई गईं गेंहू की उन्नत प्रजातियों के बारे में जानकारी साँझा की गई। अपने द्वारा उगाई गई गेंहू की किस्मों की जानकारी देते हुए संधू ने बताया कि यह क़िस्में पंजाब के मोहाली में स्थित नाबी नेशनल एग्री फूड बायो टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट की मोनिका गर्ग द्वारा 7 साल के रिसर्च के बाद बाजार में लाई गई है। बताया कि उनके द्वारा ब्लैक वीट ब्लू वीट पर्पल तथा वाइट वेट 4 प्रजाति की गेहूं की फसल उगाई गई है। उन्होंने बताया कि आज के भाग दौड़ भरे युग में मानव शरीर के लिए खानपान की जैविक चीजें ना मिल पाने के कारण लोग अनेकों प्रकार के स्वास्थ्य विकारों से ग्रसित हो जाते हैं। जिसके मद्देनजर उन्होंने गेहूं की उन्नत किस्म की पैदावार कर क्षेत्र के लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है। गेहूं की उन्नत किस्मों का विस्तारीकरण करते हुए उन्होंने बताया कि आमतौर पर खाई जाने वाली वाइट वीट सफेद गेहूं मैं 5 से 10 पीपीएम एंथोसाइनिन की मात्रा होती है। जबकि काली गेहूं में 140 पीपीएम नीली गेहूं में 80 पीपीएम तथा पर्पल गेहूं में 40 पीपीएम एंथोसाइएनिन की मात्रा होती है। एंथोसाइनन एक ऐसा पिगमेंट होता है जो इंसानी शरीर में से फ्री रेडिकल्स को निकाल देता है। जिससे हृदय,मोटापा तथा शुगर की मात्रा काफी कम हो जाती है। आजकल हर प्रकार के खाद्य पदार्थों में पेस्टीसाइड फ़र्टिलाइज़र को उपयोग में लाया जा रहा है। जिसका हमारे शरीर पर बेहद बुरा असर पड़ता है। उन्होंने क्षेत्र के अन्य कई काश्तकारों के लिए भी इस उन्नत किस्म की गेहूं का बीज मंगवाया है। संधू ने बताया कि इस गेहूं को पैदावार को बढ़ाने के पीछे लोगों को जैविक खाद्य सामग्री की ओर जागरूक करना उनका मूल उद्देश्य है। वही सामाजिक कार्यकर्ता व किसान सरदार पलविंदर सिंह ने बताया कि ग्राम बीजटी में आयोजित इस कृषक गोष्ठी के पीछे लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के साथ ही जैविक खाद्य सामग्री का उत्पादन बढ़ाने के लिए के जागरूक करना है।

 

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