Home उत्तराखण्ड रावल जी द्वारा धर्म प्रचार की शुरुआत

रावल जी द्वारा धर्म प्रचार की शुरुआत

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बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, नायब रावल शंकरन नंबूदरी ने गंगेश्वर महादेव में जलाभिषेक के साथ यहां चल रही रामकथा में सिरकत कर धर्म प्रचार अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने सभी को धर्म के मार्ग पर चलकर दीन दुखियों, जरूरतमंदरों, की अपील की। इस दौरान क्षेत्र के लोगों ने रावल, नायब रावल सहित अन्य का ढोल दमाऊं के साथ स्वागत किया।
गौरतलब है कि बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल व नायब रावल बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकाल में वापस दक्षिण भारत लौट जाते हैं। इस दौरान वे धर्म प्रचार के कार्य में जुटे रहते हैं। परंपरा रही है कि वे लौटते वक्त नंदप्रयाग के पास गंगतोली के शिव मंदिर में पूजा अर्चना कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हैं। गंगेश्वर महादेव में
गंगेश्वर शिव मंदिर में चल रही रामकथा में सिरकत कर बदरीनाथ के रावल इ्रश्वर प्रसाद नंबूदरी ने श्रद्धालुओं से अपील की कि धर्म के मार्ग पर चलकर परोपकार की भावना से कार्य करते रहें।उन्होंने कहा कि भगवान राम ने भी हमेशा सत्य के मार्ग पर चलकर प्रत्येक मनुष्य को मर्यादा की शिक्षा दी है। उन्होंने क्षेत्र के लोगों द्वारा प्रत्येक वर्ष गंगेश्वर महादेव में की जाने वाले धार्मिक आयोजन की सराहना की और कहा कि ऐसे आयोजन धर्म प्रचार के लिए महत्वपूर्ण साबित होते हैं। कार्यक्रम में श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह ने कहा कि बदरीनाथ के कपाट बंद होने के बाद रावल द्वारा धर्म प्रचार की शुरुआत इस पवित्र देवस्थल से किया जाता रहा है। यह एक परंपरा का रूप ले चुकी है। उन्होंने उम्मीद की कि भविष्य में भी यह परंपरा अनवरत जारी रहे। रामकथा के आठवें दिन कथाव्यास विजय प्रसाद पांडे ने कहा कि राम सभी प्राणियों में रमे हैं। राम करुणा, दया व स्नेह का नाम है। उन्होंने राम कथा में श्रद्धालुओं को हनुमान की भक्ति, शक्ति व विनम्रता के बारे में बताते हुए कहा कि रामचंद्र जी का जीवन त्याग का संदेश देता है। इस अवसर पर मंडपाचार्य आचार्य मनोज प्रसाद पांडे, भगवती प्रसाद पंत, सुबोध सती ने दैनिक पूजन व गंगेश्वर महादेव का अभिषेक संपन्न कराया। इस मौके पर महंत माधव गिरी, केप्टेन सुरेंद्र सिंह, योगेंद्र सिंह रावत, वीरेंद्र सिंह रावत, इंद्र सिंह रावत सहित कई लोग उपस्थित थे। इससे पूर्व रावल, नायब रावल ने गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर में भी माथा टेककर पूजा अर्चना की।

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