Home उत्तराखण्ड खुलासाः हत्याकांड के चार आरोपी गिरफ्तार

खुलासाः हत्याकांड के चार आरोपी गिरफ्तार

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रुद्रपुर। जसपुर थाना क्षेत्र के ग्राम मिलक सीपका में हुए हत्याकांड में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। फायरिंग में जख्मी हुए देवेंद्र सिंह ने दोष सिद्ध अपराधी के साथ मिल कर बहन की सास का सुहाग उजड़वा दिया था। देवेंद्र सिंह इस मामले में काशीपुर के ब्लाक प्रमुख को फंसा कर अपना बदला लेना चाहता था, लेकिन पुलिस की विवेचना ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।
एसएसपी डा. सदानंद शंकर राव दाते ने घटना का खुलासा करते हुए बताया कि बीती 25 मई को सुबह 11 बजे जसपुर के ग्राम मिलक सीपका में बाइक सवार बदमाशों ने फायरिंग की थी, जिसमें दया सिंह की मौके पर ही मौत हो गई और उनके घर मेहमानी में आए देवेंद्र सिंह उर्फ लब्बा घायल हो गया था। एसएसपी ने दिनदहाड़े हुई हत्या के बाद एएसपी डा. जगदीश चंद्र के नेतृत्व में पुलिस टीमों का गठन किया। पुलिस ने विवेचना में पाया कि दया सिंह को 315 बोर की गोली लगी थी, जिसमें उसके बचने की संभावना नहीं थी, जबकि लब्बा के जो गोली लगी थी वह ऐसे भाग पर थी जहां मृत्यु संभावना बहुत कम थी। उसे आंशिक रूप से नुकसान पहुंचाया गया था। मृतक के परिजनों एवं देवेंद्र के बयानों में विरोधाभास था। प्रथमदृष्टया की गई पूछताछ में परिस्थितिजन्य साक्ष्य व अन्य तथ्यों के आधार पर घटना में घायल देवेंद्र की संलिप्तता पाई गई, जिस पर पुलिस ने देवेंद्र सिंह, शंकर उर्फ रवि शर्मा, नरेंद्र व अलीम को भोगपुर फार्म सिंचाई विभाग की कोठरी से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में पता चला कि 2002 में काशीपुर निवासी ब्लाक प्रमुख गुरमुख सिंह ने अपने भतीजे की हत्या में देवेंद्र को जेल भिजवाया था और आरोपी खुद को निर्दोष समझता था और गुरमुख सिंह से बदला लेना चाहता था। सितारगंज जेल में रहने के दौरान देवेंद्र की दोस्ती दोष सिद्ध अपराधी कलीम निवासी मोहल्ला किला मंगलौर से हो गई। देवेंद्र जमानत पर रिहा हो गया, मगर वह अपने उद्देश्य को लेकर कलीम से अक्सर तारीखों पर मिलता रहता था। कलीम ने देवेंद्र को अपने दोस्त शंकर व नरेंद्र को अपने भाई अलीम के माध्यम से मिलवाया था। उसी के माध्यम से शंकर को पिस्टल व 315 बोर का तमंचा व नरेंद्र को तमंचा उपलब्ध कराया गया था। योजनाबद्ध तरीके से देवेंद्र अपनी बहन के घर गया तथा बहन के ससुर दया सिंह की हत्या कराई तथा खुद पर भी गोली चलवाई। यह सौदा दस लाख रुपये में तय हुआ था और एक लाख रुपये एडवांस दिए थे। पुलिस ने शंकर व अलीम से एक एक तमंचा बरामद किया। कलीम जेल से ही अपना नेटवर्क चलाता था।

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