वर्ष 2009-10 में सहायक अध्यापक के पद पर पदोन्नति के बाद उसका तबादला राउमावि कामला (कालसी) में हुआ था। शिक्षक के अनुसार उसने वर्ष 2000 में चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ से बीएड की डिग्री हासिल की थी। सितंबर 2020 को एसआईटी जांच में सहायक अध्यापक खिलेश लाल का बीएड प्रमाणपत्र फर्जी पाए गया। एसआईटी ने दिसंबर 2020 में शिक्षा विभाग को शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी। इस पर 4 फरवरी 2021 को खंड शिक्षा अधिकारी कालसी ने शिक्षक के खिलाफ कालसी थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।

बीएड की फर्जी डिग्री व प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षक को विभाग ने निलंबित कर दिया है। निलंबित शिक्षक खिलेश लाल देहरादून में तैनात था। अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा पौड़ी महावीर बिष्ट ने निलंबन आदेश जारी करते हुए शिक्षक को खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय कालसी संबंद्ध किया है। खिलेश लाल की नियुक्ति वर्ष 2008 में रुद्रप्रयाग जिले के प्राथमिक शिक्षा विभाग में हुई थी।एसआईटी की संस्तुति व शिक्षा महानिदेशालय के निर्देशानुसार अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा पौड़ी ने उक्त शिक्षक को 5 अक्टूबर 2021 को अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए। साथ ही एक माह का अतिरिक्त समय भी शिक्षक को दिया गया। लेकिन शिक्षक ने आज तक विभाग के सामने अपना पक्ष नहीं रखा। अब अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा गढ़वाल मंडल पौड़ी महावीर बिष्ट ने आदेश जारी करते हुए सहायक अध्यापक खिलेश लाल के तत्काल सेवा से निलंबित कर दिया है। बिष्ट ने बताया कि उप शिक्षा अधिकारी कालसी (प्राथमिक शिक्षा) पूजा नेगी को जांच अधिकारी नियुक्त कर 21 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं

 

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