उर्गम आज भी दुर्गम
सावन माह मे कैसे चढायेंगे कल्पेश्वर भगवान को जल
2013 की आपदा मे बह गया था पुल
पांच साल से आज तक नही बना पुल
16 जुलाई से पहाडो मे सावन का पावन माह शुरु हो रहा है पर पंच प्रयाग मे प्रसिद्ध कल्पेश्वर मे जल चढाना इस बार कितना मुश्किल है ये आप देख सकते है आपदा के बाद आज तक कल्पगंगा पर पक्का पुल नही बन पाया है और शिव भक्त आज भी जान जोखिम मे डालकर मंदिर तक पहुंच रहे
जोशीमठ विकासखंड की सबसे सुन्दर घाटी उर्गम घाटी आज भी दुर्गम है 2013 की भीषण आपदा के बाद आज भी उर्गम घाटी के लोगो का जीवन पटरी पर नही लौट पाया है
2013 की आपदा मे इस घाटी मे कल्पगंगा ने कहर भरपाया था 2013 की आपदा मे कल्पगंगा पर बना पक्का पुल बह गया था जो आज तक नही बन पाया है आज भी इस पुल से जाने वाले भेटा , भर्की गांव वाले जाने जोखिम मे डालकर कच्चे पुल से होकर गुजर रहे है सबसे बड़ी बात यह है कि आज भी ग्रामीण कंधो पर सामान लाद कर ऊफानी कल्पगंगा को पार कर रहे है
पहाड़ो पर हो रही बारिश से लगातार कल्पगंगा का जलस्तर बढने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी तो स्कूली बच्चे उठा रहे जो कि हफ्ते भर से स्कूल तक नही जा पा रहे है क्यूकि कल्पगंगा पर बना कच्चा पूल कभी भी बह सकता है
सबसे बड़ी बात यह है कि आपदा के बाद आज तक नये पुल का निर्माण नही हो पाया है आपदा के पाच साल बाद भी सरकारो की लापरवाही से ग्रामीणो को दो चार होना पड रहा है उर्गम घाटी के दर्जनो गांव आज भी अपने मूलभूत सुविधा से वंचित है हालांकि कि लोगो की आवाजाही के लिये चालू पुल तो बना दिया है पर उस से उजरना इतना खतरनाक है कि जरा सा पैर फिसला नही कि लोगो की जान तक जा सकती है