देहरादून

महिलाओं की बच्चेदानी, स्तन कैंसर, फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए यह खबर राहत देने वाली है। कैंसर पीड़ित मरीजों की जांच करने के साथ ही उन्हें इलाज की उच्च स्तरीय सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए राजकीय दून मेडिकल काॅलेज प्रशासन की ओर से कॉलेज के कैंसर रोग विशेषज्ञ, ईएनटी सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सर्जरी, दंत रोग और टीबी चेस्ट रोग विशेषज्ञों की छह सदस्यीय टीम गठित की गई है।

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सयाना ने बताया कि कैंसर बीमारी को लेकर वैसे तो पूरे देश में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल पर जागरुकता अभियान चलाया जा रहा, लेकिन आमजन को जानलेवा कैंसर बीमारी से बचाया जा सके, इसको लेकर शहर से देहात तक संघन जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है। बताया कि इसके लिए मेडिकल कॉलेज की ओर से कदम उठाया गया है।
देश में कैंसर से हर साल आठ लाख मरीज की मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में कैंसर जहां औसतन दो करोड़ मरीजों को जकड़ रहा, जिसमें औसतन एक करोड़ मरीजों की मौत इलाज के दौरान हो जाती है। कैंसर से होने वाली 70 फीसदी मौतें भारत जैसे विकासशील देशों के साथ दुनिया के गरीब देशों में होती है। श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अजीत तिवारी के मुताबिक, भारत में हर साल औसतन आठ लाख मरीजोें की मौत कैंसर बीमारी की वजह से हो रही है। भारत में कैंसर से 10 में से सात की मौत हो रही, जबकि तीन मरीजों की पूरी तरह स्वस्थ बनाने में मदद मिल रही है। अमेरिका जैसे विकसित देशों में 10 मरीजों में से सिर्फ तीन मरीजों की मौत हो रही है। जागरुकता के अभाव में ज्यादातर मरीजों में कैंसर का पता तब चलता है, जब स्थिति काफी गंभीर हो जाती है।

डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि ये छह विशेषज्ञों वाली टीम दून अस्पताल में न सिर्फ कैंसर रोगियों की जांच करेगी, बल्कि कैंसर से जूझ रहे मरीजों का इलाज भी करेगी। डॉ. सयाना के मुताबिक, दून अस्पताल में कैंसर मरीजों की जांच करने के साथ ही उनका इलाज किया जा सके, इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से यह पहल की गई है। बताया कि विशेषज्ञों की टीम न सिर्फ कैंसर पीड़ित मरीज की जांच और इलाज करेंगे, बल्कि कैंसर की बीमारी न हो इसके लिए जागरूकता अभियान में भी अपनी अहम भागीदारी निभाएंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ही रिपोर्ट पर के मुताबिक, भारत जैसे देश में कैंसर पीड़ित मरीज के इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की बेहद कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर दो हजार कैंसर पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ एक विशेषज्ञ है, जबकि अमेरिका जैसे विकसित देशों में हर सौ कैंसर पीड़ित मरीज के लिए एक डॉक्टर की व्यवस्था है।

जर्नल ऑफ ग्लोबल ऑंकोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक, विकसित देशों की तुलना में भारत जैसे विकासशील व गरीब देश में कैंसर पीड़ित मरीज की मौत की दर दोगुनी है। कैंसर पीड़ित मरीज को इलाज में किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए मेडिकल कॉलेज की कैंसर रोग दांत रोग और टीपी चेस्ट विशेषज्ञों की एक छह सदस्य टीम का गठन किया गया है।

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