एक शिकायतकर्ता ने वित्त नियंत्रक की संपत्तियों का कच्चा चिट्ठा सरकार को भेजा, विजिलेंस से गोपनीय जांच कराने की मांग
देहरादून: उत्तराखंड के एक वित्त नियंत्रक आय से अधिक संपत्ति के मामले में घिर गए हैं। आरोप है कि बीते कुछ वर्षों में ही इन्होंने 05 करोड़ रुपये से अधिक की जमीन और फ्लैट खरीद लिए हैं। यह संपत्ति उन्होंने अपनी कतिथ पत्नी, मां और पिता के नाम पर अलग-अलग जगह खरीदी है। उनकी संपत्तियों का साम्राज्य देहरादून से लेकर उत्तर प्रदेश तक में फैला है। वित्त नियंत्रक ने भ्रष्टाचार करते हुए आय से अधिक संपत्ति खरीदी और खुद को पाक साफ रखने के लिए ही उसे अपने परिजनों के नाम पर खरीदा जाना दर्शाया। इस मामले में पूरे तथ्यों और साक्ष्यों के साथ एक शिकायत सरकार को भेजी गई है। जिसमें वित्त अधिकारी की गोपनीय जांच की मांग की गई है।
वित्त नियंत्रक उत्तराखंड में खासे चर्चा में रहते हैं। वह जिस भी विभाग में गए, वहां उन पर खेल करने के खूब आरोप लगते रहे। कार्यालय से बाहर भी उनके कई खेल चर्चाओं में रहे हैं। यह बात और है कि उनकी कारगुजारी खुलकर सामने नहीं आई। लेकिन, इस बार उनका कच्चा चिट्ठा खुलता दिख रहा है। सरकार को मिली शिकायत के अनुसार वित्त अधिकारी ने देहरादून में कालीदास रोड से लेकर चक रायपुर, चालंग, जाखन, सहस्रधारा रोड, पछवादून और परवादून के विभिन्न इलाकों में फ्लैट और जमीन खरीदी हैं। एक जमीन वित्त अधिकारी ने बिलासपुर उत्तर प्रदेश में भी खरीदी है।
बताया जा रहा है कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत को सरकार ने उत्तराखंड विजिलेंस को भेज दिया है। हालांकि, जांच की दिशा में क्या कदम उठाए गए, यह बात स्पष्ट नहीं की जा सकी। वित्त नियंत्रक की आय से अधिक के मामले की शिकायत भी कोई सामान्य शिकायत नजर नहीं आती है। क्योंकि, इसमें जिन भी संपत्तियों को अर्जित करने का जिक्र किया गया है, सभी के दस्तावेज दर्ज किए गए हैं। जो शिकायत के साथ एक प्रारंभिक जांच से कम नहीं है। इससे जांच एजेंसियों का काम और आसान हो जाएगा।
शिकायत में बताया गया है कि वरिष्ठ वित्त अधिकारी अधिकारी ने किस तरह 04 अलग-अलग फेज में 5.16 करोड़ रुपये की संपत्ति परिजनों के नाम पर अर्जित की है। यह भी कहा गया है कि वित्त अधिकारी के पिता पेंशनर हैं और उनकी मां ग्रहणी। ऐसे में महज कुछ ही वर्षों में करोड़ों रुपये की संपत्ति कैसे अर्जित की जा सकती है। शिकायत में संपत्तियों के खरीद मूल्य के साथ स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन और टीडीएस के रूप में अदा की गई राशि का भी पाई-पाई का हिसाब दर्ज किया गया है। शिकायत में भी कुछ ही संपत्तियों का जिक्र है। माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार से अर्जित आय का यह आंकड़ा उम्मीद से कहीं अधिक हो सकता है। हो सकता है कि विजिलेंस की जांच में उनका खुलासा हो जाए।
इस अवधि में अर्जित की गई संपत्ति (शिकायत के अनुसार)
-वर्ष 2017 से 2021 के बीच 1.32 करोड़ रुपये की संपत्ति (पहला बिंदु)
-वर्ष 2017 से 2021 के बीच 1.71 करोड़ रुपये की संपत्ति (दूसरा बिंदु)
-वर्ष 2021 और 2022 के बीच 45.65 लाख की संपत्ति (तीसरा बिंदु)
-वर्ष 2021 से 2023 के बीच 1.38 करोड़ रुपये की संपत्ति (चौथा बिंदु)
-वर्ष 2014 और 2021-22 में 16.06 लाख की संपत्ति (पांचवां बिंदु)
बेटे को दिए 12 लाख रुपये नकद
शिकायत में यह भी बताया गया है कि संबंधित अधिकारी ने वर्ष 2023 और 2024 में बेटे को 12 लाख रुपये की नकद राशि विशेष खर्चे के रूप में प्रदान की है। इतनी बड़ी राशि का नकद भुगतान भी अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि हमारी जांच एजेंसियां तथ्यों के साथ दी गई शिकायत में कितनी द्रुत गति से कार्रवाई को अंजाम देती है।