देहरादून: उत्तराखंड मे 70 मे से 47 सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा दोबारा सत्ता मे काबिज हो गई है। और 23 सीटों पर हार का मंथन भी हो चुका है आब बारी है भाजपा का संकल्प पत्र पूरा करने की। आपको बता दें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुताबिक भाजपा सरकार अपनी दूसरी पारी में भी विकास के कामों को तेज गति से आगे बढ़ाएगी। सीएम के मुताबिक संकल्प पत्र में किए गए हर संकल्प को एक-एक कर पूरा करना शुरू कर दिया गया है। इसके लिए उनके पास पूरा रोड मैप है। सरकार अपने काम के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जताए गए विश्वास (21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का होगा) को पूरा करने के लिए काम पर जुटी है। उन्होंने कहा कि छह महीने के पहले कार्यकाल में निर्णय लेने की गति को बरकरार रखते हुए उसके प्रभावी अमल पर सरकार का फोकस रहेगा।
वहीं दूसरी तरफ सूबे मे चल रहा कांग्रेस का सदस्यता अभियान ठंडा पड़ा है आपको बता दें विधानसभा चुनाव 2022 मे करारी हार के बाद कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटों पर संतोष करना पड़ा था लेकिन कांग्रेस मे अंतर्कलह उसके बाद भी नहीं रुकी। हार का ठींकरा नेताओं ने प्रदेश प्रभारी से लेकर वरिष्ठ नेताओं तक फोड़ा जिसके बाद हार पर समीक्षा भी की गई लेकिन नतीजा ज़ीरो निकला। प्रदेश अध्यक्ष का चुनना और नेता प्रतिपक्ष का चुनाव अब तक कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इन दोनों ही पदों को कांग्रेस अब तक नहीं भर प रही है। यहाँ तक की सदन मे भी कांग्रेस बिना नेता प्रतिपक्ष के नज़र आई। कांग्रेस नेताओं की आपसी कलह कांग्रेस पार्टी को कमजोर बनती जा रही है। जिसे देखते हुए कांग्रेस ने सदस्यता अभियान चलाया था। अभियान कमजोर पड़ता देख इस अभियान की अंतिम तिथि अप्रैल तक कर दी गई है। : प्रदेश में कांग्रेस संगठन का मुखिया नहीं होने का प्रभाव पार्टी के सदस्यता अभियान पर पड़ रहा है। विधानसभा चुनाव में मिली हार के सदमे के कारण पार्टी के दिग्गज नेताओं से लेकर आम कार्यकत्र्ता इस अभियान में शिद्दत से जुड़ नहीं पा रहे हैं। माना जा रहा है कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर इसी हफ्ते के भीतर निर्णय कर सकती है। अध्यक्ष के साथ नेता प्रतिपक्ष एवं उपनेता प्रतिपक्ष पर भी निर्णय सामने आ सकता है। वहीं ताज्जुब की बात ये है की भाजपा भी कांग्रेस से नेता प्रतिपक्ष की मांग कर रही है।
लोकतन्त्र मे विपक्ष का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है लेकिन उत्तराखंड मे विपक्ष अब तक अपना नेता नहीं चुन पा रहा है । सवाल ये उठता है की कांग्रेस को प्रदेश अध्यक्ष और सदन को नेताप्रतिपक्ष कब और कैसे मिलेगा और उत्तराखंड कांग्रेस मे गुटबाजी कब खत्म होगी।