Home उत्तराखण्ड पर्यावरण को लेकर एडवोकेट पी. सी. तिवारी ने दायर की जनहित याचिका

पर्यावरण को लेकर एडवोकेट पी. सी. तिवारी ने दायर की जनहित याचिका

353
0
SHARE

चमोली ज़िले के रैणी व तपोवन क्षेत्र में 7 फरवरी को अाई भीषण तबाही को लेकर दायर एक जनहित याचिका को आज स्वीकार करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकारों को नोटिस ज़ारी कर 20 जून तक अपना पक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। याचिका में नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन, मौसम वन एवं पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भारत सरकार, केंद्र व राज्य सरकारों के आपदा प्रबंधन विभागों समेत कुल 11 प्रतिवादी बनाए गए हैं।

उत्तराखंड में जन आंदोलन से जुड़े एडवोकेट पी. सी. तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. एस. चौहान एवं न्यायमूर्ति ए. के. वर्मा की पीठ ने आज ये आदेश ज़ारी किए।

याचिका में 7 फरवरी को अाई आपदा में चिपको आंदोलन से जुड़े ऐतिहासिक गांव रैणी एवं तपोवन विष्णु प्रयाग जल विद्युत परियोजना में हुई तबाही में मारे गए निर्दोष लोगों को मुआवजा देने एवं उनकी आपराधिक लापरवाही के लिए उनपर गैर इरादतन हत्या का वाद चलाने का भी अनुरोध किया गया है।

याचिका में उत्तराखंड में बनने वाली जल विद्युत परियोजना में दुर्घटना की पूर्व सूचना देने की व्यवस्था (अर्ली वाॉर्निंग सिस्टम लगाने), आपदाओं के समय बचाव की सुदृढ़ व्यवस्था सुनिश्चित करने, परियोजना स्थल पर काम करने वाले लोगों को इस हेतु प्रशिक्षण देने, ग्लेशियरों की सतत मॉनिटरिंग करने की भी मांग की है।

याचिका में कहा गया कि उत्तराखंड पर्यावरणीय दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र है इस लिए आवश्यक है कि यहां चल रही/ बन रही जल विद्युत परियोजनाओं के प्रभावों के आंकलन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए। इस समिति में योजना से प्रभावित होने वाले समुदायों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए।

याचिका मुंबई हाईकोर्ट के अधिवक्ता क्रांति एवं उत्तराखंड हाईकोर्ट की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी द्वारा दायर की गई है। हाईकोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 25 जून की तिथि नियत की है।
वही अधिवक्ताओं की टीम में जोशीमठ की मूल निवासी अधिवक्ता सुरभी साह ने रैणी क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा में पहुंच कर लोगों से जानकारी जुटाई और याचिका में साक्ष्य को प्रस्तुत करने में योगदान दिया है

ज्ञातव्य है कि रैणी तपोवन में अाई इस आपदा की गहन पड़ताल के लिए अधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक तथ्यानिवेशी (फैक्ट फाइंडिंग) दल फरवरी में ही प्रभावित क्षेत्र गया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here