Home उत्तराखण्ड महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की हत्या करने का विरोध किया...

महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की हत्या करने का विरोध किया और कैंडल जलाकर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई

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एक समाज श्रेष्ठ समाज संस्था शक्तिफार्म सहप्रभारी गोविन्द देवनाथ कोषाध्यक्ष शंकर चौधरी के नेतृत्व में संस्था के माध्यम से संस्था पदाधिकारियों ने महाराष्ट्र के पालघर के गड़चिनचले गांव में दो साधुओं सहित उनके ड्राइवर को पीट पीटकर निर्मम हत्‍या करने के विरोध में और मृतक साधुओं की आत्मा की शांति के लिए शक्तिफार्म बैकुंठपुर में पुष्प अर्पित कर कैंडल जलाकर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई
इस दौरान एक समाज श्रेष्ठ समाज संस्था रतनफार्म प्रभारी विश्वजीत मिस्त्री सदस्य चन्दन सरकार ने संयुक्त रूप से कहा की कोरोना वायरस की महामारी से सम्पूर्ण भारत लॉकडाउन के चलते महाराष्ट्र सरकार से परमिशन लेकर दो साधु कांदिवली से सूरत गुजरात अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे लेकिन कुछ निहत्थे देशद्रोहियों ने दोनों साधु सहित उनके का ड्राइवर को घेरकर लाठी डंडों से पीट पीटकर निर्मम हत्या कर दी जो बहुत ही निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है हमारी भारत सरकार से यह माँग है की संतों के सभी हत्यारों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई कर सार्वजनिक तौर से फांसी दी जाऐ जिससे भविष्य में होने वाली ऐसी अमानवीय घटनाओं को पूर्ण रूप से रोका जा सके क्योंकि हमारे ऋषि मुनियों ने ध्यान और मोक्ष की गहरी अवस्था में ब्रह्म ब्रह्मांड और आत्मा के रहस्य को जानकर उसे स्पष्ट तौर पर व्यक्त किया हैं वेदों में ही सर्वप्रथम ब्रह्म और ब्रह्मांड के रहस्य पर से पर्दा हटाकर मोक्ष की धारणा को प्रतिपादित कर उसके महत्व को समझाया हैं मोक्ष के बगैर आत्मा की कोई गति नहीं इसीलिए ऋषियों ने मोक्ष के मार्ग को ही सनातन मार्ग माना है मोक्ष का मार्ग धर्म अर्थ काम मोक्ष में मोक्ष अंतिम लक्ष्य है यम नियम अभ्यास और जागरण से ही मोक्ष मार्ग पुष्ट होता है जन्म और मृत्यु मिथ्‍या है जगत भ्रमपूर्ण है ब्रह्म और मोक्ष ही सत्य है मोक्ष से ही ब्रह्म हुआ जा सकता है इसके अलावा स्वयं के अस्तित्व को कायम करने का कोई उपाय नहीं ब्रह्म के प्रति ही समर्पित रहने वाले को ब्राह्मण और ब्रह्म को जानने वाले को ब्रह्मर्षि और ब्रह्म को जानकर ब्रह्ममय हो जाने वाले को ही ब्रह्मलीन कहते हैं सनातन धर्म के सत्य को जन्म देने वाले अलग अलग काल में अनेक ऋषि हुऐ हैं उक्त ऋषियों को दृष्टा कहा जाता है अर्थात जिन्होंने सत्य को जैसा देखा वैसा कहा इसीलिए सभी ऋषियों की बातों में एकरूपता है जो उक्त ऋषियों की बातों को नहीं समझ पाते वही उसमें भेद करते हैं जो अज्ञानता और कायरता का प्रमाण होता है
इस दौरान मृतक संतों को श्रद्धांजलि देने में शक्तिफार्म संस्था सहप्रभारी गोविन्द देवनाथ सचिव श्रीवास पाल उपसचिव राकेश बैरागी कोषाध्यक्ष शंकर चौधरी चन्दन सरकार विजय चन्द सीमा सरकार रतनफार्म प्रभारी विश्वजीत मिस्त्री अजय साना गोविन्द मण्डल अजय दे निधू मण्डल असीम दे गोपाल मण्डल असीम शील शक्ति सरकार निरंजन मिस्त्री वासुदेव सरकार बाबू दास उर्मी सरकार कंकन मण्डल शीबू मण्डल आदि लोग उपस्थित रहे

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