भारतीय संस्कृति का हमेशा भारत का प्रधान लक्ष्य मानसिक पवित्रता की ओर ही रहा है। उतनी ही भौतिक उन्नति को आश्रय देना भारत ने उचित समझा था, जिससे मानसिक पवित्रता दब न सके। यह भी सत्य है कि जितने भी अंश में बाह्य उन्नति ने आंतरिक पवित्रता को दबाया है, उतने ही अंश में भारत का ह्रास हुआ है। यह बात रविग्राम जोशीमठ में चौथे दिन की श्रीमद्भागवत की कथा में जोतिष्पीठ व्यास आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं जी नें भक्तों को सम्बोधित करते हुए कही
उन्होंने कहा कि हमारा श्रेष्ठ ग्रन्थ भागवत जिसमें वियोग में संयोग का वर्णन हर कार्य उलझन से छुटकारा पाने के लिए समस्त वेद पुराणों का सार रूप यह लोक पर लोक सुधारने वाला तथा हमारी पहचान करानेवाले वाला ग्रन्थ है मोक्ष परक है वहीं
भारतीय संस्कृति के मुख्य ग्रन्थ भगवद्गीता में कर्तव्य बुद्धि को ही मुख्य माना गया है और फल की अपेक्षा न कर कर्तव्य पालन का नाम ही कर्मयोग रखा है। कर्मयोग एक बहुत ही उच्च कोटि की वस्तु है जो सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक विषयों में अत्यंत उपादेय सिद्ध होती है। ‘नियतं कुरु कर्म त्वम्’ अर्थात् जिसके लिए जो कर्म नियत है, उसमें उसे प्रवृत्त रहना चाहिए, यही भगवद्गीता का आदेश है।
भारतीय संस्कृति आध्यात्मिकता पर अवलंबित है और कर्म करने में कर्तव्य निष्ठा को इसमें मुख्य स्थान दिया गया है। यदि आध्यात्मिकता न रहे, तो समझ लेना होगा कि भारतीय संस्कृति का लोप हो चुका। अतः भारतीय संस्कृति के रक्षकों को आध्यात्मिकता की ओर अवश्य ध्यान देना चाहिए।
आध्यात्मिकता का एक स्वरूप कर्तव्य निष्ठा भी है। यह कर्तव्य निष्ठा भारत की देन है। कर्तव्य निष्ठा की शिक्षा गुरुओं द्वारा आश्रमों में दी जाती थी। वचनों में शक्ति भी इसी निष्ठा से उत्पन्न होती है। कौन सी वह शक्ति है, जो पुत्र से पिता की, शिष्य से गुरु की आज्ञा का पालन करा देती है। यह शक्ति कर्तव्य निष्ठा ही है। कर्तव्य निष्ठा का तात्पर्य यह है कि किसी भी कार्य को इसलिए करना है कि वह कर्तव्य है, इसलिए नहीं कि उसके करने से अच्छा फल मिलेगा यही विशवास के साथ वसुदेव और देवकी अनेक कष्टों सहन करनें के बाद भगवान पुत्र रूप में गोद में खिलाया भगवान जिसपर कृपा करते उनके दुखों का कोई पार नहीं दूर दराज़ से आकर लोग कथा का आनंद ले रहे हैं 104 वर्ष के श्री महीधर महीधर प्रसाद बहुगुणा रोज कथा का श्रवण कर रहे हैं वहीं हरीश डिमरी कविता डिमरी सन्दीप डिमरी सुरूचि डिमरी डाक्टर संजय डिमरी सुभाष डिमरी हर्ष वर्धन भट्ट धर्माधिकारी बद्रीनाथ धाम भुवन चन्द्र उनियाल पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष रिषी प्रसाद सती भगवती कपरवाण विनोद श्री राम डिमरी दिपक डिमरी अनिल डिमरी नवनीत सिलोड़ी राजेन्द्र , प्रदीप, भास्कर डिमरी जगदीश नन्द महाराज देव चैतन्य महाराज पार्षद समीर डिमरी बरखा मैठानी नेहा मैठानी संजीव मैठानी मोहित मैठानी दिपक राजेन्द्र मोहन अमित गणेश भास्कर यमुना डिमरी पूर्व बेदपाठी बद्रीनाथ कुशला नन्द बहुगुणा जानकी प्रसाद बहुगुणा