देहरादून। करीब 300 करोड़ का एनएच 74 घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। बताया जा रहा है कि मामले की एफएसएल रिपोर्ट आ चुकी है और जो रिपोर्ट आई है वह निगेटिव है। अगर रिपोर्ट निगेटिव है तो पूरे मामले में निलंबित चल रहे एक पीसीएस अफसर पर शिकंजा कसना तय माना जा रहा है। हालांकि इस मामले में अभी आलाधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
पूरे मामले में तत्कालीन मंडलायुक्त डी सेंथिल पांडियन ने फरवरी 2017 में मामले की जांच शुरू की थी। एक मार्च को तत्कालीन मंडलायुक्त डी सेंथिल पांडियन ने कहा था कि एनएच 74 के चैड़ीकरण में करोड़ों के घोटाला हुआ है। इसकी जांच रिपोर्ट शासन को भेजी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि बैक डेट में जमीनों की 143 करके किसानों को कई गुना अधिक मुआवजा दिया गया है। इस घोटाले में पूरे सिंडीकेट का हाथ होना भी बताया था। उसके बाद 10 मार्च को शासन के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी प्रताप शाह की ओर से घोटाले की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। उस वक्त दर्ज एफआईआर में एसएलएओ अथवा उनके स्टाफ का जिक्र नहीं था। जिसे शासन ने गंभीरता से लिया तो अनुपूरक रिपोर्ट दर्ज कराकर उसमें एसएलएओ व उनके स्टाफ का नाम एफआईआर में बढ़ाया गया। उसके बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार का गठन हुआ तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने डीपी सिंह समेत छह पीसीएस अफसरों को निलंबित कर दिया था। उन्होंने पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने का आश्वासन दिया था। सीबीआई को जांच के लिए पत्र भी लिखा गया, लेकिन इस बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले की सीबीआई जांच कराने के निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा। हालांकि उस वक्त सरकार ने जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी थी। बाद में इसकी जांच एसआईटी ने ही शुरू कर दी थी। यहां बता दें कि पूर्व में एसआईटी कई पीसीएस व कर्मचारियों समेत तमाम किसानों को गिरफ्तार करके जेल भेज चुकी है।

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