देहरादून। उत्तराखंड के मंत्रियों का जनता दरबार से मोहभंग हो गया है। भाजपा प्रदेश कार्यालय में अब मन्त्री नजर नहीं आते तो विधानसभा में भी दर्शन दुर्लभ हो गए हैं, जबकि विधानसभा में जनता से मिलने के लिए दिन तय किए गए थे। कांग्रेस इस पर सवाल खड़े कर रही है तो सवाल ये भी उठ रहा है कहां हो मन्त्री जी।
उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार ने भाजपा कार्यालय में जनता से मिलने और समस्याओं के समाधान के लिए हर दिन एक मन्त्री की जिम्मेदारी तय की थी लेकिन मन्त्रियों की दिलचस्पी अब जनता दरबार में नहीं है। कई हफ्ते से भाजपा कार्यालय में मन्त्रियों की गैरमौजूदगी इस बात का संकेत है। हालांकि यह सिलसिला ट्रांसपोर्टर प्रकाश पांडेय से जुड़ी घटना के बाद से ही टूट गया था जो पटरी पर नहीं आ पाया। सरकार ने विधानसभा में भी मन्त्रियों के बैठने के दिन तय किए थे लेकिन यहां भी ज्यादातर मन्त्री गायब ही रहते हैं। अब कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है। पार्टी प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी कहते हैं दरअसल जनता को इन जनता दरबारों का कोई फायदा मिला नहीं इसलिए लोग हताश हो गए, यहां तक कि जनता दरबार में आत्महत्या तक हो गई। इसके बाद इन्होंने मंत्रियों को अपने विधानसभा क्षेत्रों में जनता दरबार लगाने को कहा गया लेकिन वह वहां भी फेल हो गए। विपक्ष के सवालों के बीच न्यूज 18 ने जब कैबिनेट मन्त्री अरविन्द पाण्डेय से सवाल पूछा तो उनका गला सूख गया। उन्होंने दावा किया कि जनता दरबार जारी हैं हालांकि यह स्वीकार किया कि वह इन जनता दरबारों में बहुत अरसे से नहीं गए हैं। प्रदेश सरकार के मन्त्रियों की मनमानी कोई नई बात नहीं है। सूत्रों की मानें तो कुछ मन्त्री अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। हालांकि जनता मिलन कार्यक्रम को लेकर सरकार के मुखिया त्रिवेन्द्र सिंह रावत कह रहे हैं कि वह खुद लोगों से मिल रहे हैं और थराली विधानसभा का उपचुनाव मन्त्रियों की गैरमौजूदगी की एक वजह हो सकती है। बहरहाल अब भाजपा कार्यालय में दिख रहा सन्नाटा और विधानसभा दफ्तरों से मन्त्रियों का नदारद रहना सवाल खड़े कर रहा है कि आखिर क्यों मन्त्री जी का जनता मिलन कार्यक्रमों से मोह भंग हो गया है। जनता पूछ रही है कहां हो मन्त्री जी?