नैनीताल। उत्तराखंड में इस बार निकाय चुनाव को लेकर जो असमंजस चल रहा है वो अब दूर हो चुका है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से निकायों के परिसीमन व सीमा विस्तार को लेकर जारी अधिसूचना को निरस्त करने संबंधी एकलपीठ का आदेश निरस्त कर दिया है।बता दे की हाईकोर्ट की एकलपीठ ने निकाय परिसीमन की सुनवाई करते हुए सरकार द्वारा जारी की गई सीमा विस्तार से संबंधित सभी अधिसूचनाएं निरस्त कर दी थी। जिससे राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा था। इस पर राज्य सरकार ने विशेष अपील दायर कर एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी थी।
सरकार के निकायों को अपगेे्रड व उनके परिसीमन को लेकर की गई कवायद को खंडपीठ ने सही ठहराया। कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। हल्द्वानी, पिथौरागढ़ के दौला, खटीमा, टनकपुर, डोइवाला, रुद्रपुर, काशीपुर, भवाली, भीमताल, कोटद्वार, ऋषिकेश समेत 17 निकायों के सीमा विस्तार की अधिसूचना को अलग-अलग याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई थी। इन याचिकाओं में कहा गया था कि सीमा विस्तार से संबंधित जारी अधिसूचना राज्यपाल की ओर से जारी होनी चाहिए थी। लेकिन, इसे शहरी विकास सचिव द्वारा जारी किया गया था। जो संविधान का उल्लंघन है। जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने सीमा विस्तार को लेकर को गई प्रक्रिया को असंवैधानिक मानते हुए निरस्त कर दिया था। वहीं नगर निगम हल्द्वानी की वार्ड संख्या 25 से बढ़कर दोबारा 60 हो गयी हैं। इस फैसले से भाजपाइयों के चेहरे खिल गए हैं। हालांकि, पार्टी को अब मेयर पद पर कई और दावों का सामना भी करना होगा। कांग्रेसी खेमे का मायूस होना भी तय है। कांग्रेस को अब दोबारा मेयर के दावेदार के लिए गांव की ओर रुख करना पड़ेगा।पूर्व में कोर्ट की एकलपीठ ने परिसीमन पर रोक लगा दी थी। इससे नगर निगम में 60 की जगह 25 वार्ड में चुनाव होने के आसार बने थे। इस आदेश के बाद भाजपा के खेमे में मायूसी छा गई थी।

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