भारत का सर्वप्रथम प्रयाग विष्णु प्रयाग है अलकनंदा धौली का संगम यह भारत का प्रथम प्रयाग है जहाँ का स्नान बहुत शुभप्रद माना गया वहीँ राविग्राम में चल रही श्रीमद्भागवत की कथा आज सभी भक्त जन व्यास जी को लेकर पारम्परिक वेष भूसा ढोल दमाऊ मसक के साथ स्थानिय लोग कई बस और वाहनों से विष्णु प्रयाग पहुंचे जहाँ पर ब्यास जी का विधिवत स्नान कराया गया वही भक्तों ने भी डुबकी लगाकर पुण्य अर्जन किया भागवत जी की पूजा हवन करने के पश्चात सारे के सारे भक्त पीत वस्त्र कलश सिर पर लिए हुए नरसिंह के दर्शन चंडिका के दर्शन करने के बाद कथा स्थल पर पहुंचे गोपाल जी का स्नान वेद मंत्रो द्वारा किया गया सुदूर क्षेत्रों से लोग आकर कथा का आंनद ले रहे हैं कथा ब्यास आचार्य ममगाईं ने कहा कोई भी कार्य बिधिवत कर दिया जाता है कार्यकर्ता को ही नही बल्कि सम्मिलित होने वाले लोगो को भी समान लाभ मिलता है हमारी यह देवभूमि है यहीं भागवत लिखा गया भागवत कथा की विधि और ब्यवस्था ब्यास युग से चली आ रही हैं जिनका भविष्य में रक्षण करना हमारा कर्तव्य बनता है मर्यादा परंपरा न छुटे इसका रक्षण करना प्रत्येक ब्यक्ति का कर्तव्य बनता है श्रीकृष्ण लीला का अन्तरंग रहस्य रसिक ही जान सकते हैं यह शुकदेव परमहंस ही अपना चमत्कार दिखा सकते हैं साधारण संसारी जीव के कल्याण के लिए वेदबयास जी ने सम्पूर्ण भगवत लिखा सुखदेव जी ने परिक्षित को साक्षी करके ब्यास जी को दिया आचार्य श्री ने कहा गंगा गंगा बोलने पर पाप धुल जाते हैं स्नान करने से हर कामना पूर्ण होती है गंगा गौ कन्या का रक्षण करने वाला ही मानबता की श्रेणी में आता है स्वस्थ मानसिकता को तैयार करने के लिए आपसी भाईचारा इस प्रकार के धर्म ग्रंथों का पाठ पारायण और बच्चो को संस्कारी बनाना और उन्हे प्रेम का पाठ पढ़ाने वाले माता पिता के बच्चे पथभ्रष्ट नही होंगे आज समाज मे जो अनेक अमानवीय घटनाएं हो रही हैं वो संस्कार की कमी है भारत ऐसा देश है जहां संस्कार संपत्ति है जिन संस्कार की सीख लेकर पश्चिमी देश सुखी हैं जबकि हम लोग पश्चिमी देशों की कुशिक्षा को स्वीकारने पर लगे हैं जिसके कारण गौ कन्या के प्रति ईर्ष्या भाव पैदा हो रहा स्वतंत्रता और सुखी रहने के लिए अपनी परम्परा तीर्थ प्रयागों और माँ बापो को सम्मान देकर ही हम सुखी रह सकते हैं यह जल यात्रा हमको यही सीख देती है जल ही जीवन है इसको पवित्र रखना रक्षण करना हमारा परम कर्तव्य है और साथ जल यात्रा मिलकर के सिर पर कलश रखना भी यह संकेत देता है कि शंकर भगवान ने गंगा को सिर पर धारण किया हम भी इन कलशों को सिर पर धारण कर समाज को संकेत देना चाहते हैं तभी सबकी बुद्धिमता श्रेष्ठ होगी जब हम जल को पवित्र रखें और जल की तरह हमारी बुद्धि निर्मल होनी चाहिए एक दूसरे के प्रति द्वेष न हो हमारा रहन सहन सात्विक हो बच्चों को अपनि परम्परा का ज्ञान देना ताकि अपने नगर जन्मभूमि के प्रति आस्था हो और सबका अपने गौं अपने देव और माँ बाप की तरफ सेवा और प्रेम का भाव उत्पन्न हो वही ब्यास जी ने कहा सुदामा और शुशीला दुख में भी और सुख में भी भगवान को नही भूले इसलिए भगवान ने सुख के महल बनाये मित्र वही है जो सामने पर उसकी कमियों को बताए शत्रु वह है जो कमियों की पीठ पीछे चर्चा करे उत्तराखंड सच्चाई ईमानदारी का प्रदेश है इसी कथा में किसी की अंगूठी छूट गयी थी जिसे कोई लेने नही आया देने का भाव पाने वालों के पास है श्री हरीश डिमरी ने कहा कि 20 तारिक को 9 बजे से कथा और 1 बजे भंडारा होगा
आज मुख्य रूप से आई टी बी पी छावनीसमूह क्षेत्रीय और स्थानिय जन समूह कविता डिमरी डॉ संजय डिमरी 104 वर्ष के महीधर बहुगुणा दिपिका मिश्रा लक्ष्मी देवी सरोज पंथ अनिल डिमरी हर्षवर्धन भट्ट नवनीत सिलोड़ी कैलाश भट्ट सुभाष डिमरी राम प्रसाद डिमरी जगदीश पंथ देव चैतन्य ब्रह्मचारी विक्रांत थपलियाल संदीप डिमरी दीपक राजेन्द्र मदनमोहन गणेश डिमरी विनोद डिमरी दिकेश्वरी नौटियाल आचार्य प्रदीप सेमवाल वाणी बिलास डिमरी कुशलानंद बहुगुणा जानकी प्रसाद द्वारिका नौटियाल संदीप भट्ट सत्य प्रसाद सेमवाल संदीप बहुगुणा किशन भुजवान प्रकाश भट्ट हरीश जोशी आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित रहे