देहरादून: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उत्तराखंड में भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी किशन चंद की 31 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की संपत्ति अटैच की है। ईडी ने बताया कि यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग मामले के तहत की गई है।

ईडी ने बुधवार को बताया कि हरिद्वार जिले में एक स्कूल भवन और रुड़की स्थित एक स्टोन क्रशर प्लांट को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अटैच किया गया है। इनका स्वामित्व आईएफएस किशन चंद और उनके परिवार के सदस्यों के पास है। इन संपत्तियों की कुल कीमत 31.88 करोड़ रुपये है।

किशन चंद प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) के रूप में कार्यरत थे। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला उत्तराखंड सरकार के सतर्कता विभाग के अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर से जुड़ा है। जांच के दौरान पता चला कि कि अटैच की गई संपत्तियां अपराध से अर्जित आय हैं और विभिन्न खातों में भारी मात्रा में नकदी तथा तीसरे व्यक्ति के नाम पर चेक जमा किए गए थे। जमा की गई राशि का उपयोग इन संपत्तियों को खरीदने के लिए किया गया।

एक जनवरी 2010 से 31 दिसंबर 2017 तक की अवधि के दौरान किशन चंद ने चल और अचल संपत्तियों के अधिग्रहण खरीद के साथ- साथ अन्य कार्यों पर 41.9 करोड़ रुपये की राशि खर्च की। हालांकि इस दौरान चंद की आय 9.8 करोड़ रुपये थी। इस प्रकार, आईएफएस के पास 32.1 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति थी, जो अपराध की कमाई है।

2015 में जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग की तरफ से किशन चंद पर अनुशासनात्मक मामलों के अलावा कई दूसरे गंभीर विषयों पर शासन में शिकायत की गई थी। 1999 के दौरान किशनचंद पर कुंभ क्षेत्र में निर्माण कार्य में अनियमितता के आरोप लगे और उसकी जांच भी की गई।

राजाजी नेशनल पार्क में रहते हुए अवैध पेड़ कटान से लेकर निर्माण कार्यों में अनियमितता तक के भी आरोप किशनचंद पर लगते रहे,कांग्रेस सरकार के दौरान तो किशनचंद विभाग में खासी मजबूत दिखाई।

किशनचंद की पत्नी बृजरानी कांग्रेस की नेता रह चुकी हैं, किशन चंद की पत्नी 1996 में हरिद्वार की जिला पंचायत अध्यक्ष भी रही हैं।

इसके अलावा 2012 में उनकी पत्नी ने रानीपुर से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा, साल 2017 में निर्दलीय रूप से भी उनकी पत्नी ने विधानसभा में ताल ठोकी, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाई। खास बात यह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बृजरानी ने भाजपा की भी सदस्यता ले ली थी।