मसूरी- पहाड़ों की रानी मसूरी के हाथीपांव के पास  172 एकड़ भूमि के बीचों बीच बने सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस (आवासीय परिसर) और इससे लगभग 50 मीटर दूरी पर स्थित प्रयोगशाला (ऑब्जर्वेटरी) का जीर्णोद्धार का कार्य पूर्ण हो चुका है ऐसे में आगामी 7 दिसंबर को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज इस ऐतिहासिक धरोहर का लोकार्पण करेंगे ।

बता दें कि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने  18 जनवरी 2019 से इस ऐतिहासिक धरोहर के जीर्णोद्धार का काम शुरू करवाया था । यह कार्य उत्तराखंड पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक की तरफ से वित्त पोषित योजना के अंतर्गत  23 करोड़ 69 लाख 47 हजार रुपये की लागत से किया गया है । इस ऐतिहासिक धरोहर के मूल स्वरूप का ख्याल रखते हुए अंग्रेजों की तर्ज पर सीमेंट की जगह चक्की में पीस कर बनाए गए मिश्रण से दोबारा बनाया गया है। इसके जीर्णोद्धार में चक्की में चूना, सुर्खी, मेथी और उड़द की दाल को पानी के साथ पीसकर सीमेंट जैसा लेप बना कर लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है।

जानिए कौन थे सर जॉर्ज एवरेस्ट ?

जानकारी के लिए बता दें कि सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर ही दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम ‘माउंट एवरेस्ट’ रखा गया है । सर जॉर्ज एवरेस्ट ने अपने जीवन का एक लंबा अर्सा पहाड़ों की रानी मसूरी में बिताया था। वेल्स के इस सर्वेयर एवं जियोग्राफर ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताई थी। इसलिए ब्रिटिश सर्वेक्षक एंड्रयू वॉ की सिफारिश पर वर्ष 1865 में इस शिखर का नाम उनके नाम पर ही जॉर्ज एवरेस्ट रखा गया था । इससे पहले इस चोटी को ‘पीक-15’ नाम से जाना जाता था।

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