श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह शनिवार को विधिवत संपन्न हुआ। दीक्षांत समारोह में पहाड एवं यहाॅ की संस्कृतिक के सरंक्षण पर जोर देते हुए युवाओं को इसके लिए प्रेरित भी किया गया। मुख्य अतिथि/मा0 राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने दीप प्रज्जवलित कर दीक्षांत समारोह का शुभारंभ किया। इस मौके पर मा0 राज्यपाल के कर कमलों से 45 मेधावी छात्र-छात्राओं को गोल्ड मैडल तथा 44 छात्र-छात्राओं को सिलवर मैडल से सम्मानित किया गया। साथ ही वर्ष 2017-18 में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर में 600 तथा स्नातक में 13916 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई।
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहाड़ की तीन शख्सियतों को भी डा0 आॅफ लिटरेचर की मानद उपाधि से भी अलंकृत किया गया। इनमें पद्मभूषण सम्मान प्राप्त पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट, पद्मश्री सम्मान प्राप्त जागर गायिका बसंती बिष्ट व सीमांत क्षेत्र में कृषि का आधुनिक विकास करने वाले महेंद्र सिंह कुंवर शामिल हैं। इससे पूर्व महामहिम राज्यपाल बेवी रानी मौर्य ने श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय, बादशाही थौल, टिहरी गढवाल, गोपेश्वर चमोली परिसर का लोकापर्ण भी किया।
श्रीदेव सुमन विश्व विद्यालय के परिसर महाविद्यालय गोपेश्वर में आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह में मा0 राज्यपाल/कुलाधिपति बेवी रानी मौर्य ने उपाधि अर्जित करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी। मा0 राज्यपाल ने विद्यार्थी अपने अर्जित ज्ञान से देश और समाज के विकास में योगदान करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज का दिन केवल उपाधि हासिल करने वाले विद्यार्थियों के लिए ही महत्वपूर्ण नही है, बल्कि उन शिक्षकों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जिन्होंने विद्यार्थियों को इस योग्य बनाया है। साथ ही अभिभावकों के लिए भी यह क्षण गौरवशाली है।
मा0 राज्यपाल ने अनेक उपाधियों से सम्मानित श्री चंडी प्रसाद भट्ट, श्रीमती बसंती बिष्ट व श्री महेंद्र सिंह कुंवर को पर्यावरण संरक्षण, पलायन रोकने तथा उत्तराखण्ड की संस्कृति को संजोए रखने में उनके अमूल्य योगदान के लिए आभार व्यक्त करते हुए विद्यार्थियों को इन महान विभूतियों से प्रेरणा लेने की बात कही। तथा विश्वविद्यालय को अपनी प्राथमिकता निर्धारित करते हुए पर्यावरण के साथ लोक कला और संस्कृति के संरक्षण एवं सर्वधन तथा ग्रामीण विकास के क्षेत्र भी कार्य करने की बात कही।
मा0 राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा का उदेश्य केवल उपाधि प्राप्त करने तक सीमित रहना नही है, बल्कि व्यक्तित्व का विकास, चरित्र एवं राष्ट्र के विकास में भी विद्यार्थियों को अहम भूमिका निभानी होगी और इसका मूल्यांकन भी करना होगा। उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों को डिग्री और मैडल मिले है, उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहना चाहिए। विद्यार्थियों को उपाधि हासिल करने के बाद समाजिक, पारिवारिक एवं राष्ट्रीय दायित्वों को निभाने की जिम्मेदारी रहेगी। उन्होंने शिक्षकों को पाठ्यक्रम में नवीनता एवं नवचार का समावेश कर विद्यार्थियों को आधुनिक और व्यवहारिक ज्ञान भी देने को कहा।
मा0 राज्यपाल ने कहा कि आज भारत विश्व की सबसे बडी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और सभी युवाओं को अपनी प्रतिभा से वैश्विक मंच पर एक विशिष्ट पहचान बनानी होगी। उन्होंने विश्वविद्यालय में पारम्परिक पाठ्यक्रमों के साथ वर्तमान समय के अनुसार भी पाठ्यक्रम शामिल करने पर जोर दिया। कहा कि उत्तराखण्ड की परिस्थितियों के अनुकूल उद्योग एवं लघु उद्योगो के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार किए जाने चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय को शोध को बढावा देने की बात भी कही। मा0 राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड एक खूबसूरत राज्य है और इसको और अधिक खूबसूरत बनाने के लिए पौधरोपण, जलस्रोतों के संरक्षण हेतु भी ठोस कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों के विकास तथा पलायन को रोकने के लिए विश्वविद्यालयों को शोध करने की बात कही।
इससे पूर्व मा0 राज्यपाल ने गोपेश्वर स्थित भगवान गोपीनाथ के मंदिर में पूजा अर्चना करते हुए राज्य की खुशहाली की कामना भी की।
दीक्षांत समारोह में राज्यमंत्री (स्वतन्त्र प्रभार), उच्च शिक्षा, सहकारिता मंत्री डा0 धन सिंह रावत, सांसद तीरथ सिंह रावत, थराली विधायक मुन्नी देवी शाह, विश्वविद्यालय के कुलपति यूएस रावत, कुल सचिव सुधीर बुडाकोटी, विश्वविद्यालय के प्रवक्तागण एवं गणमान्य नागरिक, अभिभावक तथा भारी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे।