देहरादून। रमजानुल मुबारक का महीना 17 या 18 मई से शुरू होगा। 16 मई को चांद देखे जाने के बाद तरावीह की नमाज शुरू हो जायेगी। 17 मई को रमजान का पहला रोजा होगा। 16 मई को चांद नहीं दिखने पर 17 मई को पहला रोजा होगा। हालांकि यह चांद देखने के बाद ही तय होगा। इस्लाम धर्म में इस महीने को पवित्र माना गया है। इसी महीने दुनिया में कुरान नाजिल (अवतरित) हुआ और पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं। इस पूरे महीने बाद एशा नमाजे तरावीह (विशेष नमाज) पढ़ी जाती है।
तरावीह की नमाज में कुरान का पठन किया जाता है। इसलिए इस महीने में कुरान अधिक पढ़ना पुण्य माना जाता है। इस बार रमजान के रोजे तकरीबन 15 घंटे 35 मिनट के होंगे। मुफ्ती के अनुसार इस्लामी कैलेंडर और अंग्रेजी कैलेंडर में एक साल में 10 दिनों का अंतर आता है। यह अंतर इसलिए आता है कि इस्लामी कैलेंडर में 29-30 दिन का महीना होता है, वहीं अंग्रेजी कैलेंडर में 30-31 दिन का महीना होता है।
यह बरकतों वाला महीना है
रमजान 29 या 30 दिनों का होता है। यह महीना चांद देखने से शुरू होकर ईद का चांद देखने के बाद खत्म होता है। इस पूरे महीने सिर्फ-और-सिर्फ अल्लाह की इबादत की जाती है।
इस महीने जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं। शैतान कैद कर दिये जाते हैं। खानकाह मुजीबिया, फुलवारीशरीफ के मौलाना मिन्हाजुद्दीन मुजीबी ने लोगों से अपील की है कि 16 मई को रमजानुल मुबारक का चांद देखें और खबर करें, ताकि इसका एलान किया जा सके। मौलाना मखदुम अशरफ मुजीबी ने कहा कि रमजान गुनाहों से बचाता है। यह बरकतों वाला महीना है। इस महीने में एक रात ऐसी है, जो हजार महीनों से अफजल है। इस महीने की रातों में इबादत को अफजल करार देते हुए रोजे फर्ज किये गये हैं।