नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एकबार फिर कहा है कि मौत की सजा पाए कैदी के लिए फांसी की सजा ही सुरक्षित और आसान है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे के जबाव में केंद्र ने कहा है कि जहर के इंजेक्शन के जरिए दी जाने वाली मौत की सजा फांसी की सजा की तुलना में अधिक अमानवीय है।
केंद्र सरकार ने कहा कि फांसी की सजा मौत की सजा के लिए सबसे सुरक्षित सजा है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में जोर देते हुए कहा है कि मौत की सजा पाए कैदी को जहरीला इंजेक्शन देना और गोली मार कर मौत देना एक अमानवीय कृत्य है। केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि फांसी की सजा केवल रेयरेस्ट ऑफ रेयर (अपराध के दुर्लभतम) मामलों में ही दी जाती है, लिहाजा ऐसी सजा के लिए फांसी की सजा ही बेहतर है।
बता दें कि इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधायिका सजाए-मौत के मामले में फांसी के अलावा कोई दूसरा तरीका भी तलाश सकता है, जिसमें मौत शांति में हो पीड़ा में नहीं। वहीं अदालत का मानना रहा है कि हमारा संविधान दयालु है जो जीवन की निर्मलता के सिद्धांत को मानता आया है। ऐसे में विज्ञान में आई तेजी के चलते मौत के दूसरे तरीके भी तलाशे जाने चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में वकील ऋषि मलहोत्रा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि फांसी की जगह मौत की सजा के लिए किसी दूसरे विकल्प को अपनाया जाना चाहिए।ऋषि ने अपनी याचिका में कहा है कि फांसी मौत की सजा का सबसे दर्दनाक और बर्बर तरीका है और जहर का इंजेक्शन लगाने, गोली मारने, गैस चैंबर या बिजली के झटके देने जैसी सजा देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है फांसी से मौत में 40 मिनट तक लगते है जबकि गोली मारने और इलेक्ट्रिक चेयर पर केवल कुछ मिनटों में मौत हो जाती है।
उन्होंने संविधान के आर्टिकल 21 का हवाला देते हुए कहा कि हर किसी को चैन से मरने का अधिकार है। ऋषि की इस मांग को केंद्र ने कहा कि फांसी की सजा देना आसान और कम दर्द देने वाला होता है। इससे मौत कम समय में होती है वहीं जहर का इंजेक्शन लगाने से पीड़ा अधिक होती है और उसमें कैदी तड़पता भी है।