थराली / गिरीश चंदोला

थराली।तो क्या पिंडर घाटी के अछुते किन्तु बेहद खूबसूरत बुग्यालों में सुमार बगजी,दयार एवं नागाड़ में भी आने वाले समय में पर्यटकों एवं पैदल ट्रकरो की आमाद से गुलजार हो सकेंगें? पिछले दिनों जिले के जिला पर्यटन अधिकारी ने क्षेत्र के युवा पंचायत प्रतिनिधियों के साथ इस क्षेत्र का भ्रमण कर रूट मैप बनाने का संकल्प लिया हैं, उससे तो आशा की किरण हिलोरें मारते दिख रही हैं।

यूं तो पिंडर घाटी में प्राकृतिक पर्यटक स्थलों की किसी भी तरह की कमी नही है। जहां यही पर दुनिया के रहस्यमयी स्थानों में सुमार ” रहस्यमयी रूपकुंड” इसी क्षेत्र में स्थित है।वही एशिया उपमहाद्वीप के सबसे बड़े व खुबसूरत वेदनी बुग्याल भी यही स्थित हैं। इसके अलावा उच्च हिमालई क्षेत्रों में स्थित
भैकलताल,झलताल,सुपताल,ब्रहमताल भी इसी क्षेत्र में स्थित है। इसके अलावा यहां पर आज भी ऐसे कई बुग्याल एवं स्थान यहां मौजूद हैं।जोकि स्थानीय लोगों के लिए तो बेहद जाने पहचाने हैं। किंतु देशी, विदेशी पर्यटकों की तो दूर की बात है।स्वंयम उत्तराखंड राज्य के वासियों की नजरों से तक काफी दूर है। जिससे इन खूबसूरत बुग्यालों व स्थानों का दिदार करने के लिए पर्यटक नही आ पा रहे हैं।

इन्ही सुंदर पर्यटन स्थलों एवं ट्रैक भी बगजी-दयार-नागाड़ हैं,जो आज तक अधिसंख्यक लोगों की नजरों से ओझल ही बना हुआ हैं। दरअसल देवाल विकास खंड के घेस गांव से निकलने वाला यह ट्रैक घने जंगलों,ऊंचे बुग्यालों से होते हुए कैल नदी के उस ओर से पिंडर नदी के इस ओर स्थित नागाड़ को आने के साथ ही वापस देवाल अथवा पड़ोसी जिला बागेश्वर तक जाता हैं। किंतु प्रचार प्रसार के अभाव में इस ट्रैक पर पर्यटकों की आमद नही के बराबर है। हालांकि की जिन क्षेत्रीय प्रकृति प्रेमी लोगों को इस ट्रैक के बारे में जानकारी हैं,गाऐबगाहे इस रूट पर जाते रहते है।

पिछले दिनों देवाल के ब्लाक प्रमुख दर्शन दानू के प्रयासों से जिले के जिला पर्यटन अधिकारी विजेंद्र पांडेय ने एक टीम के साथ इस रूट का भ्रमण कर इसकी खूबसूरती एवं पर्यटन के हिसाब से लाभ व हानी का आंकलन करने का प्रयास किया।तो उन्हें भी लगा कि अगर इस रूट का थोडी प्रचार करने के साथ ही रूट पर जरा बहुत मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं,तो इस का बड़ा लाभ स्थानीय लोगों के साथ ही राज्य सरकार को भी मिल सकता हैं। प्रमुख दर्शन दानू ने बताया कि घेस से नागाड़ तक इस ट्रैक की लम्बाई करीब 14 किमी हैं। जबकि बागेश्वर जिले के तमाम अन्य पर्यटक स्थलों को जाने पर लंबाई 25 किमी से अधिक पड़ेगी।इस ट्रैक पर ट्रैकर तीन , चार दिनों तक घूम कर प्रकृति का आनंद ले सकता हैं। उन्होंने इस रूट को विकसित करने के लिए पूरा प्रयास करने की बात कही।

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