पथरी के टिहरी विस्थापितों को 42 साल बाद भी नहीं मिला जमीन का मालिकाना हक, योजनाओं से हो रहे वंचित

टिहरी में अपनी जन्मभूमि व सब कुछ छोड़ कर पथरी में बसे विस्थापित लोगों का दर्द साफ झलकता है। लोकसभा चुनाव से पहले विस्थापित लोगोें ने चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा की थी।

राष्ट्र के विकास के लिए अपनी जमीन तो सरकार के नाम करके आ गए, लेकिन सरकार ने दी गई जमीन 42 वर्ष बाद भी टिहरी विस्थापितों के नाम नहीं की। इससे विस्थापितों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। वह वर्षों से भूमिधरी के अधिकार की गुहार लगा रहे हैं।

टिहरी में अपनी जन्मभूमि व सब कुछ छोड़ कर पथरी में बसे विस्थापित लोगों का दर्द साफ झलकता है। लोकसभा चुनाव से पहले विस्थापित लोगोें ने चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा की थी। तब सरकार की ओर से उन्हें भूमिधरी का अधिकार जल्द देने का आश्वासन दिया था।

जिस पर उन्होंने चुनाव बहिष्कार की घोषणा को वापस ले लिया था। पूर्व राज्य मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता महावीर रावत का आरोप है कि विस्थापित लोगोें को भूमिधरी का अधिकार देने की समस्या को लेकर भाजपा सरकार गंभीर नहीं है। अभी तक सरकार ने इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

वर्ष 1982 में टिहरी बांध परियोजना के अंतर्गत टिहरी से लगभग 440 परिवारों को विस्थापित कर पथरी में बसाया गया था। जहां-जहां बसाए गए हैं, विस्थापित लोग परेशान हो रहे हैं।
-उम्मेद सिंह रावत

सरकार ने विस्थापित लोगों को सभी सुविधाएं मुहैया कराने का आश्वासन दिया था। उन्हें 42 वर्ष बाद भी भूमिधरी का अधिकार नहीं दिया गया है। जिससे विस्थापित लोग परेशान हैं।
-शूरवीर सिंह खरौला

भूमिधरी का अधिकार नहीं मिलने से विस्थापित लोगोें को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। जिससे विस्थापित लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
-युद्धवीर सिंह रावत, उप प्रधान, प्रतिनिधि

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को विस्थापितों को भूमिधरी का अधिकार दिलाना चाहिए। जिससे उनको जरूरी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
– सुनीता रावत, ग्राम प्रधान, टिहरी विकास नगर

पहले भी विधानसभा सत्र में विस्थापित लोगों को भूमिधरी का अधिकार देने की मांग उठा चुकी हूं। अब फिर से शीतकालीन सत्र में इस मांग को उठाया जाएगा। सरकार की उदासीनता के चलते विस्थापितों की समस्या का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।
-अनुपमा रावत, विधायक, हरिद्वार ग्रामीण

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