सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख़ अपनाते हुए उत्तराखंड सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है साथ ही राज्य सरकार को चेतावनी दी कि अब यदि ऐसी फिजूल की अपील दायर की गई तो यह अदालत जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित करने पर विचार करेगी। उत्तराखंड सरकार द्वारा हत्या के प्रयास के मामले में सजा कम करने को चुनौती देने वाली अपील दायर करने पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है। कोर्ट ने अगली बार ऐसा होने पर संबंधित अधिकारियों पर जुर्माना लगाने की चेतावनी भी दी है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ अपील की सुनवाई करते हुए कहा कि दोषी व्यक्ति के वकील ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में उसे दोषी ठहराए जाने के खिलाफ अपील नहीं की थी, उसने सिर्फ सजा कम करने की दलीलें दी थीं, वहीं सरकारी वकील ने सजा में कमी करने की उसकी प्रार्थना का विरोध नहीं किया था। शीर्ष कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की अपील खारिज करते हुए उसे चेतावनी दी कि अब यदि ऐसी फिजूल की अपील दायर की गई तो यह अदालत अपील दायर करने को मंजूरी देने के जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित करने पर विचार करेगी। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, ‘यह व्यथित करने वाला है कि ऐसे मामले में, जहां सरकारी वकील ने हाईकोर्ट में सजा कम करने की प्रार्थना का विरोध तक नहीं किया और हाईकोर्ट ने पूरे केस व परिस्थिति पर विचार करते हुए सजा में मामूली बदलाव किया है, को लेकर राज्य सरकार ने इस अदालत में बगैर किसी औचित्य के विशेष अनुमति याचिका दायर कर दी।’ सुप्रीम कोर्ट ने 20 अक्तूबर को दिए गए आदेश में कहा कि इस याचिका को उत्तराखंड सरकार की तुच्छ याचिका कहा जा सकता है।यह था मामला
उत्तराखंड सरकार ने 20 अगस्त 2020 के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें आरोपी को हत्या के प्रयास के तहत भादंवि की धारा 307, संगमत होकर अपराध धारा 34, आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत आरोपी को दोषी ठहराया गया था। इस पर हाईकोर्ट ने आरोपी की सात साल की कठोर सजा को घटाकर चार साल पांच माह करते हुए 20 हजार रुपये की बजाए 15 हजार रुपये जुर्माना कर दिया था।

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