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जी-20, ब्रिक्स और बिम्सटेक जैसे संगठनों के साथ आयुर्वेद से जुड़़े मसलों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर बातचीत - वैद्य राजेश कोटेचा
देहरादून, 13 दिसंबर: देहरादून में 10वें आयुर्वेद सम्मेलन एवं एक्सपो के दौरान संवाददाताओं से बातचीत करते हुए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के प्रचार प्रसार के लिए दुनिया के विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर सहयोग करने की बात कही है।
श्री कोटेचा ने कहा कि हम जी-20, ब्रिक्स और बिम्सटेक जैसे संगठनों के साथ आयुर्वेद से जुड़़े मसलों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर बातचीत कर रहे हैं। हम उनके साथ इस क्षेत्र में प्रशिक्षण और इसकी प्रैक्टिस को लेकर सकारात्मक बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम इन देशों पर किसी प्रकार का राजनयिक रूप से दबाव नहीं डाल सकते बल्कि उन्हें प्रेरित कर सकते हैं। हम विभिन्न देशों में क्लिनिकल रिसर्च कर रहे हैं उन्हें न केवल पूरी तरह से वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं बल्कि उन्हें विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियां भी प्रदान करते हैं। पिछले कुछ समय में ही ऐसे देशों की संख्या 19 से बढ़ कर 84 तक पहुंच गई है। श्री कोटेचा ने बताया कि हम 156 देशों को आयुर्वेद उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत ऐसा पहला विकासशील देश है जहां यूएन ने अपना आउटपोस्ट खोला है जो गुजरात के जामनगर में स्थित है। हम बड़े पैमाने पर आयुर्वेद क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। आयुष रिसर्च पोर्टल पर 43,000 से अधिक पब्लिकेशन रजिस्टर किए गए हैं। आईसीएमआर के साथ व्यापक स्तर पर क्लिनिकल परीक्षण किए जा रहे हैं। जनजातीय स्थानों में रक्तहीनता की स्थिति से गुजर रही किशोरियों के लिए प्रयास किए जा रहे हैं तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ मिल कर मिशन उत्कर्ष आरंभ किया गया है। आयुर्वेद उत्पादों के क्लिनिकल परीक्षण के बारे में पूछे गए एक सवाल के उत्तर में श्री कोटेचा ने कहा कि इस क्षेत्र में रिसर्च एवं सहयोग के लिए सभी बड़े वैज्ञानिक संस्थानों को मिल कर काम करना चाहिए। भारत सरकार आईसीएमआर और सीएसआईआर जैसे वैज्ञानिक संस्थानों के साथ निरंतर अनुसंधान संबंधी कार्यों के लिए सहयोग कर रही है।
श्री कोटेचा ने कहा कि 2015 में नेशनल आयुष मिशन की स्थापना की गई जिसमें 60 प्रतिशत का आर्थिक सहयोग केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है जबकि 40 प्रतिशत का योगदान राज्य सरकारें देती हैं। उन्होंने बताया कि 2022 में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने आयुष वीजा नीति कार्यान्वित की। श्री कोटेचा ने कहा कि प्रकृति परीक्षण अभियान के तहत 26 दिसंबर तक 1 करोड़ लोगों के परीक्षण कर लिए जाएंगे और यह अभियान निरंतर चलता रहेगा।