उत्तराखंड में आई 2013 की आपदा को कौन भूल सकता है 2013 का महाप्रलय आज भी लोगों की आंखों के सामने हर समय रहता है 7 साल बीतने के बाद भी लोग आज उस खौफनाक मंजर को देख कर डर जाते हैं 2013 की आपदा ने केदार घाटी से लेकर चमोली के जोशीमठ विकासखंड के खीरों घाटी,बेनाकुली, लामबगड़, पांडुकेश्वर ,गोविंदघाट में भारी कहर बरपाया था यहां लोगों को आर्थिक संपदा का भारी नुकसान पहुंचा था कई लोगों के बड़े-बड़े होटल जमींदोज हो गए मकान अलकनंदा के तेज बहाव में समा गए गोविंदघाट में हेमकुंड साहिब की यात्रा पर आए सिख श्रद्धालुओं के वाहन अलकनंदा के तेज बहाव में बह गए गोविंदघाट से लेकर हेमकुंड साहिब की घाटी भ्यूंडार, पुलना सब आपदा की की भेंट चढ़ गए। आपदा राहत बचाव कार्य में सेना, प्रशासन सामाजिक संस्थाओं ने बहुमूल्य योगदान दिया । उत्तराखंड में आई 2013 की आपदा में सेना का विशेष सहयोग रहा जब आईटीबीपी और आर्मी ने मिलकर कई जगहों पर राहत एवं बचाव के ऑपरेशन चलाएं 7 वर्ष बीतने के बाद भी प्राकृतिक आपदाओं की याद में लोग आंसू बहाते हुए नजर आते हैं लामबगड़ के स्थानीय निवासी मनोज चौहान, जगदीश परमार और गांव के प्रधान बुद्धि लाल बताते हैं कि उस मंजर को देखते हुए हमारे रोंगटे खड़े हो गए जीवन में कभी ऐसी प्राकृतिक आपदा पहले नहीं देखी थी हमारे सामने ही कई भवन बेकर अलकनंदा नदी में समा गए लेकिन दूर खड़े गांव वासी अपनी जान बजाने को मजबूर नजर आए। 2013 की आपदा में पांडुकेश्वर गांव को भी भारी नुकसान हुआ था गांव के निचले तटों पर बने हुए मकान और होटल एक के बाद एक अलकनंदा नदी में बह गए। गांव के स्थानीय निवासी दिगंबर सिंह पवार का कहना है कि उन्होंने जब इस मंजर को देखा तो घर छोड़कर सड़क पर आ गए उनके गांव के कई गरीब परिवार होटल व्यवसाय के मकान आंखों के सामने अलकनंदा नदी में गिरते हुए दिखाई दिए तो आंखों में आंसू निकल आए क्योंकि खून पसीने की कमाई 2013 की आपदा में एक के बाद एक पानी की तरह बहने लगी। वही गोविंदघाट के गुरुद्वारा प्रबंधक सेवा सिंह कहते हैं कि 2013 की विकराल आपदा ने संभलने का मौका तक नहीं दिया गुरुद्वारे के अंदर भारी मात्रा में मलवा घुस गया आनन-फानन में तड़के सुबह गुरुद्वारा और होटल खाली कराकर लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजने का कार्य किया गया वही बताया कि 2013 में 15 जून से लगातार बारिश का दौर जारी रहा 16 जून के बाद देर शाम से अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा और देर रात को अलकनंदा नदी विकराल रूप ले चुकी थी लगभग दो से ढाई बजे रात को अलकनंदा नदी का बहाव गुरुद्वारे की तरफ आने लगा जिससे गुरुद्वारे में मलबा घुस गया और लोग दहशत में आ गए। 2013 की आपदा ने पूरे उत्तराखंड की आर्थिकी की नींव तोड़ दी तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा ने इस पूरी आपदा का जिम्मा अपने कंधों पर उठाया और राहत एवं बचाव कार्य में जुट गए क्षेत्र के विधायकों ने भी जनता के लिए राहत एवं बचाव कार्य में अपना अपना योगदान दिया बद्रीनाथ विधानसभा सीट के पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी भी अपने क्षेत्र में आई आपदा के मद्देनजर कई जगहों पर राहत एवं बचाव कार्य में शामिल होते हुए नजर आए 2013 की आपदा को याद किया जाए तो आज भी खतरनाक मंजर आंखों के आगे आते हैं इस आपदा ने लोगों को झकझोर कर के रख दिया लेकिन वर्तमान समय में अगर बात करें तो धीरे-धीरे जीवन पटरी पर लौट रहा है 2013 की आपदा के बाद बद्रीनाथ धाम की यात्रा भी ठप पड़ चुकी थी जिसके बाद धीरे-धीरे यात्रा को सुरक्षित करने का प्रयास किया गया बद्रीनाथ धाम की यात्रा 2017 के बाद धीरे-धीरे पटरी पर लौटी और 2019 में रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्री भगवान बद्री विशाल के दर्शनों के लिए पहुंचे । 2013 की आपदा में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क में भी काफी जगहों पर छतिग्रस्त हुई जिनको ठीक करने का कार्य युद्ध स्तर पर किया गया बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर लामबगड़ स्लाइड 1997 से लगातार भूस्खलन की वजह से लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ था तो 2013 की आपदा में और भी ज्यादा क्षतिग्रस्त हो गया जिसके बाद उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ट्रीटमेंट का कार्य शुरू किया जो अब लगभग 80% पूरा हो चुका है किशोर पवार का कहना है कि ट्रीटमेंट का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इसके अलावा लामबगड़ गांव के लोगों का कहना है कि उनका एक क्षेत्र खीरों घाटी भी आता है जहां अभी तक आपदा के बाद पैदल रास्ते छतिग्रस्त हो गए हैं जो आज तक नहीं बन पाए हैं गांव में बिजली नहीं है लोग कृषि कार्य के लिए यहां जाते हैं लेकिन जाने के लिए अच्छे मार्ग नहीं हैं बताया कि उनके द्वारा इस गांव में दुग्ध उत्पादन का कार्य किया जाता है जो बद्रीनाथ धाम की यात्रा के दौरान धाम में पहुंचाया जाता है लेकिन रास्ते ना होने से लोगों ने दुग्ध व्यवसाय को भी छोड़ दिया है जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो रही है बेनाकुली कुली के निवासियों का कहना है कि उनके गांव के नीचे लगातार बरसात के दौरान भूस्खलन होता है अलकनंदा और खीरों गंगा के तेज भाव से गांव की ओर कटाव बढ़ता ही जा रहा है लेकिन अभी तक गांव के निचले हिस्सों में सुरक्षा दीवार का कार्य नहीं किया गया जिससे लोग दहशत में रहते हैं पांडुकेश्वर मैं भी कई जगहों पर अभी भी सुरक्षा दीवार का कार्य पूरा नहीं हो पाया है जिससे लोग दहशत में जी रहे है
धीरे धीरे ही सही पर भर रहे हैं आपदा प्रभावितों के जख्म
EDITOR PICKS
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