कम हो रहा राजस्व घाटा अनुदान, प्रदेश सरकार को करने होंगे इनकम बढ़ाने के इंतजाम

सरकार को अपेक्षा के अनुरूप राजस्व प्राप्त नहीं हो पा रहा है। साल दर साल राजस्व घाटा अनुदान की राशि कम होती जा रही है। 2021-22 में यह 7,772 करोड़ रुपये थी, जो 2024-25 में घटकर 4,916 हो चुकी है।

आगामी वित्तीय वर्ष तक केंद्र सरकार से राज्य को मिलने वाला राजस्व घाटा अनुदान घटकर आधा रह जाएगा। सरकार को अपने खर्च को संभालने में राजस्व घाटा अनुदान से अभी काफी मदद मिल रही है। इसके कम हो जाने के बाद उसके लिए वित्तीय चुनौती बढ़ जाएगी।

राजस्व प्राप्ति के इस अंतर को पाटने के लिए सरकार राजस्व बढ़ाने के नए स्रोतों की तलाश कर रही है। साथ ही उन स्रोतों पर भी फोकस कर रही है, जहां से सरकार को अपेक्षा के अनुरूप राजस्व प्राप्त नहीं हो पा रहा है। हाल ही में नदी, तालाब, झरनों से निकलने वाले पानी के व्यावसायिक इस्तेमाल पर शुल्क लगाने का सरकार का फैसला इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

अगले दो साल में शून्य हो जाएगा राजस्व घाटा अनुदान

राज्य को हजारों करोड़ में मिल रहा राजस्व घाटा अनुदान 2026-27 में शून्य हो जाएगा। साल दर साल राजस्व घाटा अनुदान की राशि कम होती जा रही है। 2021-22 में यह 7,772 करोड़ रुपये थी, जो 2024-25 में घटकर 4,916 हो चुकी है। अनुदान की राशि जैसे-जैसे कम हो रही है, सरकार पर इसकी भरपाई करने का दबाव बढ़ रहा है।

राजस्व जुटाने वाले विभागों पर बढ़ाया दबाव

सरकार ने भी राजस्व जुटाने वाले विभागों पर अपना दबाव बढ़ा दिया है। हाल ही में मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में वित्त विभाग ने राजस्व प्राप्तियों की जो रिपोर्ट रखी। उसके मुताबिक, 15 अक्तूबर तक लक्ष्य के सापेक्ष 45 प्रतिशत धनराशि ही प्राप्त हो सकी थी। आधे से अधिक वित्तीय वर्ष बीत जाने के बाद भी राजस्व प्राप्ति के लक्ष्यों में कोई बड़ा सुधार नहीं है। जीएसटी, खनन, स्टाम्प और रजिस्ट्रेशन विभाग को छोड़ दें तो बाकी विभागों का प्रदर्शन में काफी सुधार की जरूरत है। सरकार नीतियों और तकनीक में सुधार करके राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

यूं कम होता जाएगा राजस्व घाटा अनुदान

वित्तीय वर्ष अनुदान प्रतिशत

2020-21 5076 –

2021-22 7772 53.1

2022-23 7137 -8.2

2023-24 6223 -12.8

2024-25 4916 -21.0

2025-26 2099 -57.3

2026-27 0 -100

15 अक्तूबर तक प्रदेश सरकार की आय के मुख्य स्रोत

मद 2024 प्रतिशत

एसजीएसटी 4469 44

आबकारी 2225 51

नॉन-जीएसटी 1274 53

स्टांप और रजिस्ट्रेशन शुल्क 1240 51

परिवहन 622 41

खनन 269 52

जल कर 107 16

वानिकी व वन्यजीव 311 44

ऊर्जा (गैर कर) 76 10

ऊर्जा (इलेक्ट्री सिटी ड्यूटी) 182 33

यूपी पेंशन हिस्सेदारी 570 42

अन्य 589 49

कुल 12343 45

मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे संभव स्रोतों में राजस्व बढ़ाने की समीक्षा करें। साथ ही ऐसे खर्चे भी देखें जिनमें कटौती की जा सकती है। कम हो रहे राजस्व घाटा अनुदान की भरपाई के लिए सरकार का मितव्ययिता बरतने और आय बढ़ाने पर फोकस है। – आनंद बर्द्धन, अपर मुख्य सचिव (वित्त)

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