निलंबित बीईओ दमयंती रावत पर अब एक और मामले में कार्रवाई की तैयारी, ये बड़ा सवाल भी उठा

दयमंती रावत को भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में रहते करोड़ों की वित्तीय अनियमितता के आरोप में हाल ही में निलंबित किया गया है।

कर्मकार बोर्ड में करोड़ों की अनियमितता की आरोपी शिक्षा विभाग की निलंबित बीईओ दमयंती रावत पर अब एक अन्य मामले में भी कार्रवाई की तैयारी है। शिक्षा सचिव रविनाथ रामन के मुताबिक दमयंती पर बिना एनओसी के दूसरे विभाग में जाने का आरोप है। मामले में कार्मिक एवं वित्त विभाग से परामर्श लिया जा रहा है। जिसके बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारी सहसपुर के पद पर कार्यरत दमयंती रावत पहले मूल विभाग की एनओसी के बिना बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण की निदेशक बनीं। इसके बाद वर्ष 2018 में उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की सचिव बन गईं।

शिक्षा विभाग की अनुमति के बिना उन्हें कर्मकार बोर्ड में सचिव बनाए जाने पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने नाराजगी जताई थी। तत्कालीन शिक्षा सचिव भूपिंदर कौर औलख ने भी इस मामले की जांच के आदेश देते हुए तीन दिन में रिपोर्ट मांगी थी।

वित्तीय अनियमितता के आरोप में निलंबित हैं दमयंती

दयमंती रावत को भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में रहते करोड़ों की वित्तीय अनियमितता के आरोप में हाल ही में निलंबित किया गया है। शासन ने जारी आदेश में कहा है कि उन पर 50 करोड़ का बिना सक्षम प्राधिकार प्राप्त किए समझौता अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का आरोप है। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने बोर्ड की निधि से 20 करोड़ की धनराशि ऋण के रूप में निदेशक ईएसआई को उपलब्ध न कराते हुए सीधे ब्रिज एंड रुफ इंडिया नई दिल्ली के पक्ष में धनराशि जारी की।

बर्खास्त हो सकती हैं दमयंती

शिक्षा सचिव के मुताबिक कर्मकार बोर्ड में सचिव के पद पर रहते हुए वित्तीय अनियमितता का मामला गंभीर है। इस मामले में दमयंती को आरोप पत्र दिया गया है। मामले में उन्हें बर्खास्त तक किया जा सकता है।

शिक्षा विभाग में बीईओ दमयंती रावत को निलंबित करने में शासन को लग गए दो साल

शिक्षा विभाग में बीईओ दमयंती रावत को निलंबित करने में शासन ने दो साल लगा दिए। कर्मकार बोर्ड में वित्तीय अनियमितता के आरोप में उन पर नवंबर 2022 में कार्रवाई की सिफारिश हुई थी। 18 नवंबर 2022 को अमर उजाला ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद भी उनके निलंबन में इतना समय लग गया।

बीईओ दमयंती के मामले में वर्ष 2022 में जांच रिपोर्ट में आया था कि श्रम विभाग में कार्य के दौरान करोड़ों रुपये की धनराशि हस्तांतरण के लिए उन्होंने सक्षम स्तर से अनुमति नहीं ली। शिक्षा सचिव रविनाथ रमन की ओर से जारी आदेश में उस दौरान कहा गया था कि दमयंती रावत ने कोटद्वार में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज के लिए गैर प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति प्राप्त किए 20 करोड़ रुपये हस्तांतरित कर दिए। दमयंती ने ऐसा कर वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया है। महिला अधिकारी को दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

जांच के लिए गठित की गई थी तीन सदस्यीय समिति

शिक्षा सचिव के मुताबिक इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई। तत्कालीन श्रम आयुक्त संजय कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति में तत्कालीन वित्त नियंत्रक विद्यालयी शिक्षा मोहम्मद गुलफाम अहमद एवं तत्कालीन उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा हरेराम यादव को शामिल किया गया था।

बड़ा सवाल……. कार्रवाई के बिना किसने कराई विभाग में वापसी

आरोपों की जांच के बाद बिना कार्रवाई के दमयंती रावत की विभाग में वापसी हो गई। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि किसने इनकी विभाग में वापसी कराई। दमयंती रावत को कांग्रेस के एक बड़े नेता का करीबी माना जाता है। यही वजह है कि शिक्षा विभाग के एनओसी नहीं देने के बावजूद वह प्रतिनियुक्ति पर श्रम विभाग में काम करती रहीं। उन्हीं कांग्रेसी नेता ने एक नहीं, दो सरकारों में दो-दो शिक्षा मंत्रियों के अधिकार क्षेत्र में दखल देकर दमयंती रावत को अपने विभाग में रखा।

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