देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण कार्यों पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सवाल खड़े किए हैं। श्रीकेदारनाथ मंदिर निर्माण शैली, मंदिर प्रांगण, वास्तुशैली से छेड़छाड़ और तीर्थपुरोहितों की आजीविका के प्रबंध खत्म करने के गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने इसकी जांच की मांग की। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ मौजूद तीर्थपुरोहितों और क्षेत्रीय विधायक मनोज रावत ने श्रीकेदारनाथ में तीर्थ-पुरोहितों के आवास हटाए जाने समेत उक्त मुद्दों को लेकर आंदोलन की चेतावनी भी दी। हरीश रावत के इस कदम को अगले वर्ष लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र की मोदी सरकार और राज्य सरकार को घेरने की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
केदारनाथ धाम के दो दिनी दौरे से लौटने के बाद शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल, क्षेत्रीय विधायक मनोज रावत, तीर्थ-पुरोहितों की संस्थाओं श्रीकेदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, पूर्व अध्यक्ष किशन बग्वाड़ी, सचिव राजेंद्र तिवारी, चार धाम तीर्थ पुरोहित समाज के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल को साथ लेकर पत्रकारों से रूबरू हुए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नई केदारपुरी के नाम पर केदारनाथ धाम के पारंपरिक, सांस्कृतिक, धार्मिक वैभव के साथ छेड़छाड़ की गई है। मंदिर के गर्भगृह, शिखर, मंडप, चारदिवारी, पटांगण (प्रांगण) का पौराणिक स्वरूप अब दिखाई नहीं देता। प्रांगण के रास्ते पर नौ ग्रहों के प्रतीक के तौर पर बनीं नौ सीढ़ियां व प्रवेश द्वार पर घंटा और भोग मंदिर अब नदारद हैं। सरकार ने स्मार्ट केदार सिटी के नाम पर केदारनाथ में तीर्थ-पुरोहितों, स्थानीय समाज की आजीविका छीनने का प्रयास किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि केदारनाथ में किए गए कार्य मंदिर समिति और तीर्थ-पुरोहितों को विश्वास में लेकर नहीं किए गए। मंदिर के सामने 50 फीट से ज्यादा चैड़े रास्ते के औचित्य पर उन्होंने सवाल उठाए।
श्रीकेदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, पूर्व अध्यक्ष किशन बग्वाड़ी व कृष्णकांत कोटियाल ने केदारनाथ धाम में पिछली हरीश रावत सरकार के कार्यों को सराहते हुए नई सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पुरोहितों के भवन ध्वस्तीकरण के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा। प्रत्येक सोमवार को पुरोहित समाज उपवास रखकर विरोध जताएगा।
श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने आरोप लगाया कि नई सरकार ने साजिश के तहत पिछली सरकार के कार्यों को आठ माह तक ठप रखा और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका शिलान्यास कराया। पूर्व सीएम हरीश रावत के नाम के पत्थर हटाए गए। श्रीबदरीनाथ मंदिर में सोने की चदर चढ़ाने को लेकर विवादित गुप्ता बंधुओं का नाम सामने आने पर उन्होंने राज्य सरकार को भी चिट्ठी लिखकर प्रवर्तन निदेशालय के जरिये जांच कराने का अनुरोध किया है। वहीं केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने कहा कि मंदिर की स्थापित परंपराओं की अनदेखी हुई तो वह जान देने से पीछे नहीं हटेंगे।

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