इंदिरा गांधी कला केंद्र की टीम की ओर से सोमवार को सलूड-डुंग्रा गांव का भ्रमण किया गया। समिति की ओर से गांव की पौराणिक और विश्व धरोहर रम्माण को रोजगार से जोडने की योजना तैयार की गई है। जिसे लेकर समिति द्वारा ग्रामीणों से मुलाकात कर रम्माण के बारे में जानकारी जुटाई गई।
इंदिरा गांधी कला संस्कृति मंच की टीम के सलूड पहुंचने पर ग्रामीणों की ओर से टीम का भव्य स्वागत किया गया। यहां जीआईसी सलूड के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान रम्मवाण मेला समिति के अध्यक्ष कुशाल सिंह भंडारी ने सभी टीम को रम्मवाण के बारे विस्तृत जानकारी दी। साथ ही उन्होंने बताया कि रम्मवाण को रोजगार से जोडने के लिये जिलाधिकारी के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार को भेजा जाएगा। जिससे स्थानीय युवाओं को पौराणिक धरोहर को संजोने के कार्य के साथ ही रोजगार भी मिल सकेगा। इंदिरा गांधी कला केंद्र के सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने रम्मवाण समिति की ओर से किये जा रहे कार्य की सराहना करते हुए, ग्रामीणों को गांव के पर्यटन और तीर्थाटन के लिये कार्य करने की बात कही। साथ ही उन्होंने स्थानींय स्तर पर इतिहास से स्नातकोत्तर कर चुके छात्रों को रम्माण पर शोध कर रिपोर्ट संस्थान को देने की बात कही। उन्होंने कहा कि शोध के लिये संस्थान द्वारा शोधार्थी को दो वर्ष तक आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। इस मौके पर परियोजना निर्देशक प्रो मौली कौशल, परियोजना समन्वयक डॉ रमाकांत पन्त, लक्ष्मी रावत, शैलेन्द्र पंवार आदि मौजूद थे।