रिपोर्टर दीपक भारद्वाज सितारगंज
। ब्लॉक कार्यालय परिसर में इस दौरान करीब दो दर्जन पौधे रोपे गए। पौधरोपण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए ब्लॉक प्रमुख श्रीमती कमलजीत कौर ने कहा कि प्रदेश की संस्कृति में हरेला का विशेष महत्त्व माना जाता है।उत्तराखण्ड में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला को ही अधिक महत्व दिया जाता है! क्योंकि श्रावण मास शंकर भगवान को विशेष प्रिय है। यह तो सर्वविदित ही है कि उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और पहाड़ों पर ही भगवान शंकर का वास माना जाता है। इसलिए भी उत्तराखण्ड में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला का अधिक महत्व है। इसे कर्क संक्रांत पर मानते हैं। हरेला को सुख स्मृद्धि व ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है।
वहीं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता सरदार पलविंदर सिंह औलख ने बताया कि सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में हरेला बोने के लिए किसी थालीनुमा पात्र या टोकरी का चयन किया जाता है। इसमें मिट्टी डालकर गेहूँ, जौ, धान, गहत, भट्ट, उड़द, सरसों आदि 5 या 7 प्रकार के बीजों को बो दिया जाता है। नौ दिनों तक इस पात्र में रोज सुबह को पानी छिड़कते रहते हैं। दसवें दिन इसे काटा जाता है। 4 से 6 इंच लम्बे इन पौधों को ही हरेला कहा जाता है। घर के सदस्य इन्हें बहुत आदर के साथ अपने शीश पर रखते हैं। घर में सुख-समृद्धि के प्रतीक के रूप में हरेला बोया व काटा जाता है! इसके मूल में यह मान्यता निहित है कि हरेला जितना बड़ा होगा उतनी ही फसल बढ़िया होगी! साथ ही प्रभू से फसल अच्छी होने की कामना भी की जाती है। कार्यक्रम में ब्लॉक प्रमुख कमलजीत कौर उप प्रमुख गुरप्रीत सिंह कनिष्ट ब्लॉक प्रमुख लक्ष्मी मंडल उपकार सिंह बल पलविंदर सिंह औलख दिलबाग सिंह बीडीओ हरीश चंद जोशी तेजपाल प्रजापति ग्राम प्रधान कुलदीप सिंह आदि शामिल थे।