अब देहरादून में देख सकेंगे प्राचीन मूर्तियों की प्रतिकृतियां, जून में भेजा जाएगा अल्मोड़ा; मध्य प्रदेश से है खास नाता
बीते वर्ष जुलाई में शुरू हुए सांस्कृतिक उत्सव निनाद के दौरान हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र में स्थित संग्रहालय में करीबन 123 मूर्तियां अल्मोड़ा संग्रहालय से मंगाई थी जो 1600 ई. से भी पुरानी हैं।

इनमें 14वीं सदी का लघु स्तंभ के अलावा देवी देवताओं की मूर्तियां भी यहां हैं। जिसमें नौवीं सदी की चतुर्भुज ब्राह्मणी व महेश्वरी नौवीं सदी के गरुड़ 10वीं सदी के शिव-पार्वती 10वीं सदी के चतुर्भुज भगवान…गढ़ी कैंट स्थित नींबूवाला में बने राज्य का पहला हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र के संग्रहालय में रखी 123 प्राचीन मूर्तियों की प्रतिकृति बनकर तैयार हो चुकी है। संग्रहालय में इन मूर्तियों का दीदार करने के लिए जल्द ही संस्कृति विभाग शुल्क जारी करने की तैयारी में है। वहीं, मुख्य मूर्तियों को जून तक अल्मोड़ा संग्रहालय में भेज दिया जाएगा।विभाग ने इन मूर्तियों को अप्रैल में तैयार करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन लोकसभा चुनाव में सांस्कृतिक केंद्र को प्रशिक्षण केंद्र बनाने के चलते संग्रहालय को बंद करना पड़ा। अब चार जून के बाद यहां दोबारा से कार्य शुरू होगा।अल्मोड़ा संग्रहालय से मंगाई गई थी 1600 ई. से भी पुरानी 123 मूर्तियां
बीते वर्ष जुलाई में शुरू हुए सांस्कृतिक उत्सव ‘निनाद’ के दौरान हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र में स्थित संग्रहालय में करीबन 123 मूर्तियां अल्मोड़ा संग्रहालय से मंगाई थी, जो 1600 ई. से भी पुरानी हैं। इनमें 14वीं सदी का लघु स्तंभ के अलावा देवी देवताओं की मूर्तियां भी यहां हैं। जिसमें नौवीं सदी की चतुर्भुज ब्राह्मणी व महेश्वरी, नौवीं सदी के गरुड़, 10वीं सदी के शिव-पार्वती, 10वीं सदी के चतुर्भुज भगवान विष्णु, उमा-महेश आदि मूर्तियां शामिल हैं।मध्य प्रदेश के कारीगरों की ओर से मूर्तियों की प्रतिकृति बनाने के लिए बीते फरवरी से कार्य चल रहा है। संस्कृति विभाग ने निर्माण कार्य करने वाली अनुपम हेरिटेज लैब को 15 अप्रैल तक मूर्तियों की प्रतिकृति पूरा करने का लक्ष्य दिया था।

चार जून के बाद ही मुख्य मूर्तियों को भेजा जाएगा अल्मोड़ा
संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट ने बताया कि यह कार्य पहले ही पूरा हो जाना था, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र को प्रशिक्षण केंद्र बनाए जाने के चलते संग्रहालय को बंद करना पड़ा। ऐसे में चार जून के बाद ही मुख्य मूर्तियों को अल्मोड़ा भेजा जाएगा।