देहरादून। यूकाॅस्ट के महानिदेशक डा. राजेंद्र डोभाल ने आश्चर्य जताया कि उत्तराखंड में कीड़ा जड़ी खोदना वैध कार्य है, लेकिन इसे बेचना अवैध कार्य हो जाता है। कीड़ा जड़ी बेचने वाला तस्कर हो जाता है। इस मामले में भूटान तथा चीन से भी हम सबक लेने को तैयार नहीं हैं। डोभाल यूकास्ट में यूनिवर्सिटी जर्नल के हालिया अंक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। इसी दौरान कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने स्वीकार किया गया एक साल पहले जब उन्होंने मंत्री पद ग्रहण किया, अपनी विभाग की समीक्षा करते हुए उन्होंने पाया कि इन 17 सालों में विभाग के पास बताने के लिए एक भी उपलब्धि नहीं है।
यूकास्ट में यूनिवर्सिटी जर्नल के हालिया अंक के विमोचन के अवसर पर कृषि एवं उद्यान मंत्री ने कहा कि हम इस राज्य में कार्य संस्कृति नहीं बना पाए हैं। उन्होंने कहा कि 17-18 साल में कृषि तथा उद्यान मंत्रालय में एक भी ऐसी उपलब्धि नहीं है, जिसे बताया जा सकता है, जबकि उद्यानिकी के क्षेत्र में उत्तराखंड में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि जड़ीबूट तथा पर्यटन दो अलग-अलग क्षेत्र हैं, लेकिन अब कोशिश की जा रही है कि इन दोनों को जोड़कर काम किया जाए, इसके लिए दस पार्कों का निर्माण किया जा रहा है। यूकास्ट के महानिदेशक राजेंद्र डोभाल ने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कीड़ा जड़ी, मध्य हिमालयी क्षेत्रों में भंगजीरा और निचले और मध्य क्षेत्रों में भांग के रेसे इस हिमालयी राज्य की अर्थव्यवस्था को पंख लगा सकते हैं। लेकिन विडंबना देखिए इस राज्य में कीड़ा जड़ी खोदना वैध गतिविधि है, जबकि कीड़ा जड़ी बेचना अवैध और तस्करी कार्य हो जाता है। इस संबंध में भूटान और चीन की नीतियों से सबक तक लेने की कोशिश नहीं की गई है। हिमालयी क्षेत्रों में कीड़ा जड़ी खोदने वाले युवा किन हालातों में काम कर रहे हैं, इस कार्य से उन्हें कितनी गंभीर बीमारियां हो रही है, इस पर गौर करने की जरूरत है। स्वामीराम हिमालय विश्वविद्यालय के कुलपति डा. विजय धस्माना ने कहा कि पहाड़ में प्रकृति से करीबी सानिन्ध्य रखने वाली वनस्पतियां मौजूद हैं। पहाड़ के लोग उन्हें पहचानते हैं और उनका उपयोग करते हैं, उन्होंने शोधार्थियों को इस क्षेत्र में बेहतर भविष्य बनाने की सलाह दी।