देहरादून। स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन व गांधी हॉस्पिटल) में एसएनसीयू का विधिवत शुभारंभ किया। कहा कि जिला चिकित्सालय में एसएनसीयू संचालित होने से जहां जनमानस को सुविधा मिलेगी वहीं चिकित्सालय में भी सुरक्षित प्रसव होंगे। कहा कि एसएनसीयू संचालित कराने में जिलाधिकारी व उनकी टीम का सराहनीय योगदान रहा है।

मंत्री डॉ धन सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में निरंतर सुधार किए जा रहे हैं। वर्ष 2027 तक विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी पूर्ण कर ली जाएगी। एएनएम, नर्सिंग स्टाफ, पेरामेडिकल , फार्मासिस्ट के सभी पद भर लिए गए हैं। कहा कि हरिद्वार मेडिकल कालेज का शुभारम्भ हो गया है। शीघ्र ही रुद्रपुर, बागेश्वर, पिथोरागढ मेडिकल कालेज का शुभारंभ हो जाएगा।

उन्होने कहा कि सरकार लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को प्रयत्नरत है। वर्ष 2025 तक शत् प्रतिशत् संस्थागत प्रसव होंगे। साथ ही उत्तराखण्ड पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जो 200 विशेषज्ञ चिकित्सक प्रतिवर्ष अन्य राज्यों को देगा। उन्होंने चिकित्सकों के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि चिकित्सकों को भगवान का दर्जा देते हुए कहा कि नर्सें भी डेढ गुना अधिक कार्य करती हैं। उन्होंने चिकित्सा परिवार को जनसेवा के लिए बढ-चढकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने को कहा।

इस अवसर पर जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि उनके बच्चे के जन्म के दौरान नवजात बच्चे को विशेष नवजात देखभाल इकाई और पत्नी को 2 यूनिट रक्त की आवश्यकता हुई, जिससे काफी कठिनायों का सामना करना पड़ा। जिसके मद्देनजर उन्होंने आम जनमानस समस्या को महसूस किया, और निर्णय लिया कि चिकित्सालयों में ब्लड बैंक व एसएनसीयू का होना अत्यंत आवश्यक है। कहा कि जल्द ही जिला अस्पताल कोरोनेशन में ब्लड बैंक भी स्थापित किया जाएगा।

बता दें कि कोरोनेशन के निरीक्षण के दौरान सुविधाओं के अभाव के चलते इस दिशा में कार्य शुरू किए गए थे। निक्कू वार्ड को संचालित करने के प्रयास शुरू हुए। जो कि डीएम की प्राथमिकता में से एक था। उनकी यह मुहिम आखिर रंग लाई।

डीएम द्वारा विशेषज्ञ चिकित्सक से लेकर वॉक इंटरव्यू से नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति, जनरेटर, डेडीकेटेड एम्बुलेंस, एसएनसीयू वार्ड में तैनात चिकित्सकों एवं कार्मिकों के लिए वॉकी टॉकी उपलब्ध कराई गए। जिलाधिकारी ने फ्रंट में आकर मोर्चा संभाला।

जिला चिकित्सालय में निक्कू वार्ड नहीं था, जिस कारण चिकित्सालय में प्रसव दर कम थी। प्रसव हेतु दून मेडिकल कॉलेज को रेफर करना पड़ता था। गांधी शताब्दी को पूर्व में चाइल्ड एंड मैटरनिटी केयर सेंटर के रूप में विकसित किया था। दो वर्ष पूर्व गायनी विंग कोरोनेशन हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दी गई थी। निक्कू वार्ड तब से बंद पड़ा था। कोरोनेशन हॉस्पिटल में डिलिवरी का ग्राफ बेहद कम है, जिसकी एक वजह नवजात के लिए निक्कू की व्यवस्था नहीं होना भी है।

मौके पर निदेशक एनएचएम स्वाति भदौरिया, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ तारा आर्य, मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संजय जैन, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ वाईएस चौहान आदि मौजूद रहे।